सिदगोड़ा सूर्यमंदिर में श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन बाल्यकाल का हुआ वर्णन Jamshedpur News
संगीतमय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन के कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। सिदगोड़ा सूर्य मंदिर परिसर में श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन कथावाचक ने श्रीराम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए कहा कि जिसका भी अस्तित्व है उसी में राम है। जब तक आत्मा है तभी तक आप हैंं।
मंगलवार को शाम में संगीतमय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन के कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात वृंदावन से पधारे कथा व्यास मानस मर्मज्ञ परम् पूच्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज का स्वागत किया गया।
श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन कथा व्यास जी ने कहा कि दुनिया भर के कौए गंदगी में वास करते हैं परन्तु कागभुशुण्डीजी ने भगवान के जन्म के उपरान्त संकल्प किया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे तब तक सब कुछ त्याग, मैं अवघ में ही वास करुंगा तथा राजा दशरथ के महल की मुडेरी पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करुंगा।
कागभुशुण्डि जी ने संकल्प लिया था कि भगवान के हाथ का जो झूठन गिरेगा वही प्रसाद ग्रहण करूंगा। कथा व्यास जी ने कहा कि कागभुशुण्डी जी कोई सामान्य कौवा नहीं थे। उनकी दक्षता का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान भोलेनाथ जी भी कागभुशुण्डीजी से श्री राम कथा सुनने स्वयं जाया करते थे। आगे की बाल-लीला में भगवान श्रीराम के घर में खेलने और राजा दशरथ के कहने पर माता कौशिल्या द्वारा धूलघूसरित प्रभू को उठाकर दशरथ जी के गोद में डालने का सुंदर चित्रण किया।
भारत की शिक्षा संस्कृति के अनुरूप नहीं
नामकरण की व्याख्या करते हुए व्यासजी ने कहा कि नाम ही मनुष्य का भाग्य, भविष्य तय करता है। प्रभु श्री राम का नाम लेने मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है। हमारे समाज में जो बुराइयां व्याप्त है उनका कारण शिक्षा का अभाव ही है, आज जो भारत में शिक्षा दी जा रही है वह संस्कृति के अनुरूप नहीं है। हमारी संस्कृति में शिक्षा धर्म से जोडऩे वाली, त्यागमयी जीवन जीने वाले व दूसरों का हित करने वाली शिक्षा होती थी।
बचपन का संस्कार व्यक्ति निर्माण में सहायक होता है हमारे शास्त्रों में ग्रह नक्षत्र के आधार पर ही नामकरण करने की व्यवस्था थी। श्री राम के नाम करण एवं भगवान श्रीराम के बचपन की लीलाओं का वर्णन किया गया। व्यास जी ने कहा हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बताये गये हैं। इनमें नामकरण संस्कार भी है। यही संस्कार किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं। नाम ही मनुष्य का भाग्य भविष्य तय करता है पूच्य व्यास जी ने कहा कि नाम भी राशि और ग्रह नक्षत्र के आधार पर होना चाहिए।
सुबह हुआ पूजा-पाठ
इससे पहले प्रात:कालीन पूजा में पंचकुंडीय महायज्ञ में यज्ञाचार्य श्री विजय गुरुजी महाराज जी द्वारा यजमानों के संग गौ पूजन, स्थापित देवताओं का पूजन, स्थापित देवताओं का हवन, जलाधिवास व आरती के पश्चात दिन की पूजन विधि पूर्ण हुई।
महायज्ञ में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, देवेंद्र सिंह, पवन अग्रवाल, गुंजन यादव, मुकेश आगीवाल बंटी अग्रवाल, श्याम अग्रवाल समेत अन्य लोग यजमान के रूप में उपस्थित थे। राम कथा में मंगलवार को बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षड़ंगी समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए।