छऊ गुरु पद्मश्री मंगला प्रसाद महंती नहीं रहे
पद्मश्री मंगला प्रसाद महंती 10 जून 1932 को सरायकेला के कंसारी टोला में पैदा हुए थे । वर्ष 2004 में गुरु झारखंड रत्न सम्मान से भी नवाजे गए थे।
जमशेदपुर, जासंं। सरायकेला-खरसावां जिले के रहनेवाले छऊ गुरु पद्मश्री मंगला प्रसाद महंती का शुक्रवार शाम निधन हो गया। 90 वर्षीय महंती लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। वे जमशेदपुर स्थित कदमा में रहते थे। वर्ष 2009 में छऊ नृत्य कला के सरायकेला स्कूल (शिलाई) में अभिनव कौशल के लिए पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किए गए थे।
उन्होंने अपना जीवन इस पारंपरिक नृत्य के संरक्षण और प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। छऊ गुरु पद्मश्री मंगला प्रसाद मोहंती का जन्म 10 जून, 1932 को सरायकेला के कंसारी टोला में पैतृक घर में हुआ था। 1962 में जमशेदपुर कोऑपरेटिव कॉलेज से बीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1970 में प्रतिष्ठित एक्सएलआरआइ से औद्योगिक संबंधों और समाज कल्याण में डिप्लोमा भी किया था। उन्होंने 1988 में चंडीगढ़ के प्राच्य कला मंदिर से कथक शिलाई में प्रथम श्रेणी में विशारद की डिग्री प्राप्त की। 1995 में कोलकाता से नृत्य रत्न का खिताब व सत्र 2001-02 में तबला विशारद में प्रथम श्रेणी की डिग्री भी कोलकाता से प्राप्त की थी।
10 साल की उम्र में शुरू किया नृत्य
उन्होंने 10 साल की उम्र में नृत्य शुरू किया। तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश भर में प्रदर्शन किया। पारंपरिक नृत्य को लोकप्रिय बनाने में मदद की। 2004 में गुरु झारखंड रत्न सम्मान मिला। उन्होंने कई ऐतिहासिक प्रस्तुतियों का निर्देशन किया, जिनमें अविस्मरणीय अच्युत कन्या व मोहिनी शामिल हैं। नवीन अवधारणाओं और नृत्य डिजाइनों ने सरायकेला छऊ शिलाई की पारंपरिक विरासत में और अधिक योगदान देने की दिशा में योगदान दिया है।