Chaitra Navratri 2020 : इसबार चैत्र नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग, पांच रवि योग और गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग
Chaitra Navratri 2020. इसबार चैत्र नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि योग है। पांच रवि योग और गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। जानिए चैत्र नवरात्र 2020 से जुड़ी बातेंं।
जमशेदपुर, जेएनएन। chaitra Navratri Know Details about Chaitra Navratri 2020 इसबार चैत्र नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि योग है। पांच रवि योग और गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। आइए आपको बताते हैं चैत्र नवरात्र 2020 से जुड़ी सभी बातें।
चैत्र के महीने में मनाए जानेवाले नवरात्रि के त्योहार को चैत्र नवरात्र के रूप में जाना जाता है। यह नौ दिनों का उत्सव है जिसमें परम दिव्य शक्ति की देवी दुर्गा का पूजन किया जाता है। देवी दुर्गा के सभी नो रूपों की पूजा होती है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री चैत्र नवरात्र के प्रत्येक दिन पूजा करनेवाले शक्ति के नौ रूप है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के पहले दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के दौरान हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में पड़ता है। इस वर्ष यह 25 मार्च से शुरू होगा और 2 अप्रैल 2020 को समाप्त होगा। चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्र भी कहा जाता है क्योंकि यह भारत में वसंत के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान राम के जन्मदिन रामनवमी के साथ समाप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का सबसे शुभ अवसर हिंदु धर्माबलंबियों लिए खास महत्व रखता है क्योंकि यह देवी दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने का सबसे अच्छा समय है। चैत्र नवरात्र के धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों का एक बड़ा प्रतीकात्मक मूल्य है। चैत्र नवरात्र के पहले तीन दिन ऊर्जा की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। अगले तीन दिन मां लक्ष्मी को समर्पित हैं जो धन की देवी हैं। इसके बाद अंतिम तीन दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
तिथि व सूर्योदय के अनुसार
- सुबह 5:57 बजे से शाम 4:02 बजे तक
- गुली काल मुहूर्त : सुबह 10:24 बजे से 11:56 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:31 बजे से 12:20 बजे तक
सिद्धि और अति वृष्टि का योग
नवरात्र में माता अपने भक्तों को दर्शन देने नाव पर आ रही हैं। नाव पर माता का आगमन भक्तों के लिए शुभ फलदायी है। माता की विदाई गज यानी हाथी पर हो रहा है। माता का हाथी से गमन होने से अति वृष्टि का योग बन रहा है। इस वर्ष देश में अच्छी बारिश होने का योग है। नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि योग, पांच रवि योग, गुरु पुष्य योग का दुर्लभ संयोग बना है।
कलश स्थापना का विशेष महत्व
चैत्र नवरात्र में कलश स्थापना के साथ मां की आराधना मंगलकारी है। कलश में ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रह, नदियों, सरोवर, सात द्वीप के साथ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। नवरात्र पूजन के दौरान कलश स्थापना कर कलश की पूजा विधि-विधान से करना शुभ माना जाता है।
कन्या पूजन का है विशेष महत्व
नवरात्र के मौके पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष तक की कन्या पूजन का विधान है। कन्याएं छल-कपट से दूर होने के साथ पवित्र मानी जाती है। जिनका पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्र 2020 की तिथियां
- प्रतिपदा- 25 मार्च बुधवार
- द्वितीया - 26 मार्च गुरुवार
- तृतीया- 27 मार्च शुक्रवार
- चतुर्थी - 28 मार्च शनिवार
- पंचमी- 29 मार्च रविवार
- षष्ठी - 30 मार्च सोमवार
- सप्तमी-31 मार्च मंगलवार
- अष्टमी-01 अप्रैल बुधवार
- नवमी- 02 अप्रैल गुरुवार
- दशमी-03 मार्च शुक्रवार