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आस्था और शुचिता का पर्व चैती छठ का नहाय-खाय नौ को

आस्था व शुचिता का पर्व चैती छठ चार दिनों का है। नौ अप्रैल को नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत होगी। 12 अप्रैल को सूर्योदयोपरांत सप्तमी में पारण करना श्रेयस्कर रहेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 12:53 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 12:53 PM (IST)
आस्था और शुचिता का पर्व चैती छठ का नहाय-खाय नौ को
आस्था और शुचिता का पर्व चैती छठ का नहाय-खाय नौ को

जमशेदपुर, जेएनएन। सनातन धर्म में सूर्य को साक्षात देवता की संज्ञा प्राप्त है। सूर्यदेव में भगवान विष्णु की सृष्टि को पालन करने की सम्पूर्ण शक्ति निहित है। इसके कारण सूर्यदेव ब्रह्रमांड में सर्व शक्ति माने गए हैं। वैष्णवी शक्ति के कारण ही इन्हें सूर्य नारायण भी कहा जाता है।

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भगवान सूर्य देव की शक्ति व क्षमता सर्वविदित है। इनकी कृपा से संसार में कुछ भी अप्राप्य नहीं है। सूर्य देव की अनुकूलता से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सूर्य देव की अराधना के क्रम में वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल पक्ष एवं कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को विशेष पूजा के रूप में व्रत-पूजन व अस्ताचलगामी सूर्य तथा सप्तमी को उदीयमान सूर्य देव को विधिवत अर्घ्‍यदान किया जाता है। इस पावन पर्व को सूर्यषष्ठी व्रत या छठ व्रत कहते हैं।

आस्था व शुचिता का पर्व छठ चार दिनों का है। प्रथम दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, खरना के उपरांत व्रत रखते हुए तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य एवं पुन: अगले दिन अरुणोदय काल में दूसरा अर्घ्‍य दिया जाता है। भगवान सूर्य देव की अराधना प्राचीन काल से ही होती आ रही है, जिसका वर्णन पुराणों में है। छठ व्रत के दौरान नदी या सरोवर में कमर तक जल में खड़े होकर ताम्र पात्र से सूर्यदेव को अर्घ्‍यदान करना चाहिए। अर्घ्‍यदान में जल, गाय का दूध, लाल चंदन, रोली, अक्षत, लाल या पीला पुष्प वगुड़, फल, ईंख, ऋतुफल, कंदमूल व विशेष प्रकार के पकवान का उपयोग किया जाता है।

अर्घ्यदान के लिए मंत्र

एहि सूर्य सहस्त्रंशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां देव गृहाणार्घ्य दिवाकर।। भगवान सूर्य देव प्रसन्न होकर मनोभिलषित फल प्रदान करते हैं। चैती छठ व्रत करने वाले भक्तों की संख्या कम होती है। इसबार चैती छठ के क्रम में मंगलवार नौ अप्रैल को नहाय खाय अर्थात कदुवा भात, बुधवार 10 अप्रैल को सायं में खरना अर्थात खीर भोजन, गुरुवार 11 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य एवं दूसरे दिन सप्तमी तिथि में शुक्रवार 12 अप्रैल को अरुणोदय काल में दूसरा अर्घ्यदान किया जाएगा। पंडित रमाशंकर तिवारी के अनुसार शुक्रवार 12 अप्रैल को सूर्योदयोपरांत सप्तमी में पारण करना श्रेयस्कर रहेगा। भगवान सूर्यदेव की कृपा सभी भक्तों व व्रतियों पर बनी रहे। जमशेदपुर में चैती छठ भी हजारों की संख्या में लोग मनाते हैं।


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