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अर्जुन मुंडा ने संभाली भारतीय तीरंदाजी संघ की कमान, कहा-मैं जन्मजात तीरंदाज

ARCHERY. केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को भारतीय तीरंदाजी संघ की कमान संभाल ली।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 02:40 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 05:15 PM (IST)
अर्जुन मुंडा ने संभाली भारतीय तीरंदाजी संघ की कमान, कहा-मैं जन्मजात तीरंदाज
अर्जुन मुंडा ने संभाली भारतीय तीरंदाजी संघ की कमान, कहा-मैं जन्मजात तीरंदाज

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता: ARCHERY केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को भारतीय तीरंदाजी संघ की कमान संभाल ली। नई दिल्ली के सम्राट होटल में आयोजित संघ की वार्षिक आम बैठक में अर्जुन मुंडा को अध्यक्ष बनाने की औपचारिक घोषणा कर दी गई।

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रविवार को वार्षिक आम बैठक के दौरान ही चुनाव होना था, जिसमें नामांकन भरने की अंतिम तिथि 30 मई थी। लेकिन अंतिम दिन तक अर्जुन मुंडा गुट के सामने किसी भी विरोधी ने नामांकन नहीं भरा। इस प्रकार अर्जुन मुंडा को भारतीय तीरंदाजी संघ का अध्यक्ष बनना पहले ही तय हो गया था। राजनीति के सफल खिलाड़ी अर्जुन मुंडा तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष बनने वाले झारखंड के पहले पदाधिकारी हैं। 

22 राज्यों के प्रतिनिधि रहे मौजूद

रविवार को हुई बैठक में 28 मान्यता प्राप्त राज्य संघ में 22 राज्यों के  पदाधिकारी मौजूद थे, जबकि चंडीगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, तेलंगना, पंजाब तथा पांडिचेरी के पदाधिकारी अनुपस्थित रहे। गौरतलब है कि अखिल भारतीय तीरंदाजी संघ के चुनाव के पूर्व ही विरोधी साई के पूर्व डीजी बप्पा राव खेमे के हौसले पस्त थे। देश के 22 राज्य संघों ने पहले ही अर्जुन मुंडा को समर्थन देने की बात कह दी थी। पिछले चुनाव में भी अर्जुन मुंडा को विभिन्न राज्यों का व्यापक समर्थन प्राप्त था, लेकिन राज्य संघ के पदाधिकारी नहीं होने के कारण उन्हें चुनाव में भाग लेने नहीं दिया गया था।

इन राज्यों का है समर्थन हासिल

अर्जुन मुंडा को जम्मू कश्मीर, हरियाणा, त्रिपुरा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, मेघालय, केरल, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, सिक्किम, गोवा, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र समेेत अन्य राज्यों का समर्थन हासिल है। 

ये बताई प्राथमिकताएं

अध्यक्ष पद की औपचारिक घोषणा होने के बाद सदस्यों को संबोधित करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि मैं जनजातीय समुदाय से आता हूं, जहां आज भी नवजात को मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को तीर से काटने की परंपरा है। वैसे भी मेरा नाम अर्जुन है और जनजातीय होने के कारण तीरंदाजी की समझ बचपन से हैं। आज विश्व फलक पर भारतीय तीरंदाज धुमकेतू की तरह चमक बिखेर रहे हैं। अगर इस चमक को बरकरार रखना है तो फिर टैलेंट हंट करना होगा। ग्र्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे तीरंदाज हैं जिन्हें मौका नहीं मिल पाता है। हमारी प्राथमिकता सुदूर ग्र्रामीण इलाकों में जाकर वैसे प्रतिभाओं को खोजकर तराशना होगा।

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