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Jharkhand: धालभूमगढ़ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने किया निरस्त, राज्य सरकार ने नहीं उपलब्ध कराई जमीन

Dhalbhumgarh Airport Project केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा के उपसभापति को धालभूमगढ़ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट निरस्त करने की जानकारी दी। राज्य सरकार की ओर से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को कोई जमीन नहीं सौंपी गई। राज्य सरकार की ओर से वन मंजूरी (एनओसी) भी नहीं दी गई।

By Birendra Kumar OJhaEdited By: Roma RaginiPublished: Wed, 01 Mar 2023 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 01 Mar 2023 12:11 PM (IST)
धालभूमगढ़ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने किया निरस्त

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। वर्षाें से शहरवासियों को धालभूमगढ़ में जिस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के बनने का इंतजार था, उस पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। केंद्र सरकार ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को बंद करने का निर्णय लिया है।

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यह जानकारी राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी है। सिंहभूम चैंबर की मांग पर रास उपसभापति ने पत्र लिखकर धालभूमगढ़ एयरपोर्ट पर वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी थी।

इस पर केंद्रीय मंत्री ने उपसभापति को जो लिखित जानकारी दी, उसमें कहा गया है कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट लिमिटेड को 21 जून 2019 को झारखंड में हवाई अड्डे के विकास के लिए संयुक्त उद्यम कंपनी के रूप में बनाया गया था। इसके लिए राज्य सरकार को हवाई अड्डे के विकास के लिए भारतीय विमान प्राधिकरण को सभी भार मुक्त भूमि उपलब्ध करानी थी।

एलीफैंड कॉरिडोर से सहमत नहीं थी समिति

पर्यावरण मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रस्तावित स्थल जंगल में पड़ता है, जो बड़ी संख्या में हाथियों का निवास स्थान है। यह हाथी गलियारे (एलीफैंट कॉरिडोर) के रूप में जाना जाता है। समिति प्रस्तावित स्थल से सहमत नहीं थी और परियोजना के प्रस्तावक को एक वैकल्पिक स्थल का पता लगाने के लिए कहा था।

राज्य सरकार ने हवाई अड्डे के विकास के लिए नहीं सौंपी जमीन

राज्य सरकार की ओर से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को कोई जमीन नहीं सौंपी गई। राज्य सरकार की ओर से वन मंजूरी (एनओसी) भी नहीं दी गई। साइट पर कोई विकास कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है। उपरोक्त सभी तत्वों को ध्यान में रखते हुए भारतीय विमानपतन प्राधिकरण ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट लिमिटेड को बंद करने का निर्णय लिया है।

सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने बताया कि हरिवंश 21 जनवरी को चैंबर भवन आए थे। इस दौरान चैंबर ने जमशेदपुर के औद्योगिक विकास और आम जनता के मुद्दे पर उनका ध्यान आकृष्ट कराया था। इसमें जमशेदपुर के आसपास एक एयरपोर्ट बनाने की मांग रखी गई थी।

केंद्रीय मंत्रियों से हुई बात, निकलेगा निदान-सांसद

सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट प्रोजेक्ट बंद नहीं होने देंगे। मैंने अभी नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से बात हुई है। इन्होंने मुझे बात करने के लिए बुलाया है।

सांसद ने कहा कि वास्तव में राज्य सरकार की मंशा शुरू से नकारात्मक रही है। उसी ने गलत रिपोर्ट बनाकर भेजी है। यहां कोई एलीफैंट कारिडाेर नहीं है। मुझे पूरा विश्वास है कि केंद्र सरकार को सही जानकारी दी जाएगी, तो इसका निदान निकलेगा।

द्वितीय विश्वयुद्ध में चाकुलिया था वायु सेना का मुख्य हवाई अड्डा, हो सकता है विकल्प

धालभूमगढ़ में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर फिलहाल विराम लगता दिख रहा है, लेकिन उससे लगभग 18 किलोमीटर दूर चाकुलिया का हवाई अड्डा बेहतर विकल्प हो सकता है। यहां भी वायु सेना का हवाई अड्डा है, जिसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध में किया गया था।

चाकुलिया हवाई अड्डा को वायु सेना ने मुख्य हवाई अड्डा बनाया था, जबकि धालभूमगढ़ उसकी सहायक इकाई थी। यहां विमानों की मरम्मत होती थी।

चाकुलिया का हवाई अड्डा 515 एकड़ में बना है, जबकि धालभूमगढ़ में बमुश्किल 300 एकड़ जमीन है। हालांकि, इसका विस्तार भी 515 एकड़ तक करने की योजना थी। यहां भी ठीक उसी तरह का रनवे और ढांचा बना है, जैसा धालभूमगढ़ में है। चूंकि वर्षों से इसका उपयोग नहीं हुआ है, इसलिए दोनों का उपयोग जीर्णोद्धार के बाद ही किया जा सकेगा।

धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बना तो ओडिशा व बंगाल को भी होगा फायदा

धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट इसलिए बनाना चाह रहे हैं, क्योंकि इससे जमशेदपुर सहित पूरे झारखंड के साथ ओडिशा व बंगाल को भी फायदा होगा। यह तीन राज्यों से सटा हुआ है। एयरपोर्ट बनने पर यह स्थान औद्योगिक व व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बन जाएगा। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता।

धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का शिलान्यास जनवरी 2019 में तत्कालीन नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था। इसके बाद विमानपत्तन प्राधिकरण ने 100 करोड़ रुपये भी दिया था, जिससे हवाई अड्डा को विकसित किया जा सके, लेकिन रत्ती भर भी काम नहीं हुआ।


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