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पटाखा फोड़ते समय सावधानी जरूरी, जानिए क्या कह रहें एक्सपर्ट Jamshedpur News

रोशनी का पर्व दीपावली में पटाखा फोड़े लेकिन सावधानी भी जरूरी है। हर साल दीपावली के बाद देखा जाता है कि अस्थमा व आंख-कान के मरीजों की संख्या में इजाफा होती है। ऐसे में इस बार भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। खासकर अभिभावकों की जिम्मेवारी...

By Vikram GiriEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 11:50 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 11:50 AM (IST)
पटाखा फोड़ते समय सावधानी जरूरी, जानिए क्या कह रहें एक्सपर्ट Jamshedpur News
पटाखा फोड़ते समय सावधानी जरूरी, जानिए क्या कह रहें एक्सपर्ट । जागरण

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । रोशनी का पर्व दीपावली में पटाखा फोड़े लेकिन सावधानी भी जरूरी है। हर साल दीपावली के बाद देखा जाता है कि अस्थमा व आंख-कान के मरीजों की संख्या में इजाफा होती है। ऐसे में इस बार भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। खासकर अभिभावकों की जिम्मेवारी यहां बढ़ जाती है कि वे अपने बच्चों को लेकर सजग और सतर्क रहें।

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पटाखे से निकलने वाली चिंगारी व आवाज खतरनाक साबित हो सकती है। कोरोना की वजह से इस बार हर किसी को ज्यादा अलर्ट होने की जरूरत है। खासकर कोरोना से ठीक होने वाले व्यक्तियों को पटाखों के धुआं से दूर रहने की सलाह दी जा रही है। ताकि धुआं उन्हें परेशानी का सबब न बन जाएं। जानिए विशेषज्ञों की राय।

पटाखा का बरूद आंख के लिए खतरनाक

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सीबीपी सिंह कहते हैं है कि आंख बहुत ही संवेदनशील अंग है। पटाखों का बारूद आंख के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। इसलिए पटाखा छोड़ते वक्त सावधानी जरूरी है। नजदीक से पटाखा नहीं छोड़े। कई बार देखा जाता है कि पटाखा नहीं फटने से बच्चे दोबारा उसके नजदीक चले जाते है और इसी दौरान अचानक से फट जाता है। इससे बच्चे के आंख, कान डैमेज होने का खतरा बना रहता है। अगर आंख में कुछ भी पड़ जाए तो तुरंत ठंडा पानी से धोएं।

ज्यादा आवाज वाले पटाखे से फट जाता कान का पर्दा

टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) के पूर्व ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ. केपी दूबे ने बताया कि दीपावली में बच्चे ज्यादा आवाज वाले पटाखा फोड़ना पसंद करते हैं लेकिन यह उनके और बुजुर्गों के लिए काफी खतरनाक साबित होता है। इससे कान का पर्दा क्षतिग्रस्त हो सकता है। 140 डेसिबल से ज्यादा आवाज के पटाखे आपको बहरा बना सकते हैं। ऐसे में 85 डेसिबल से नीचे की आवाज वाले पटाखे ही फोड़े। गर्भवती महिलाओं को भी पटाखा से दूर रहना चाहिए।

पटाखा से जलने पर क्या करें

शहर के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आर कुमार ने बताया कि पटाखा छोड़ते और दीया जलाते समय  सावधानी नहीं बरतने पर लोग झुलस जाते है। ऐसे में कई लोग उस जगह को रगड़ने लगते है। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। जले हुए भाग को ठंडे पानी में करीब 15 मिनट तक डाले रखें। फफोला बन जाने पर छेड़छाड़ न करें। पटाखे छोड़ते समय सिंथेटिक के बजाए सूती कपड़े पहनना चाहिए।


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