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कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ वाराणसी में मुकदमा दर्ज, जानिए क्या है मामला, और क्यों लटकी है गिरफ्तारी की तलवार

आरोपी पूर्व रजिस्ट्रार सहित कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरफ्तारी का भय सता रहा है। इसे देखते हुए कुछ कर्मचारी व पदाधिकारी कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसके लिए अधिवक्ता से संपर्क भी कर रहे हैं।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 08:33 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 08:33 AM (IST)
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ वाराणसी में मुकदमा दर्ज, जानिए क्या है मामला, और क्यों लटकी है गिरफ्तारी की तलवार
मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति।

जमशेदपुर, जासं। परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी व फर्जी ढंग से सत्यापन करने के मामले में विशेष जांच दल (एसआइटी) ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 16 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। इसमें वर्ष 2004 से 2014 तक बीच विश्वविद्यालय तैनात छह कुलसचिव, उप कुलसचिव व सहायक कुलसचिवों के सहित 16 कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। इसमें वर्तमान में कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यरत प्रोफेसर डा. गंगाधर पंडा का भी नाम शामिल है। आरोपी पूर्व रजिस्ट्रार सहित कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरफ्तारी का भय सता रहा है। इसे देखते हुए कुछ कर्मचारी व पदाधिकारी कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इसके लिए अधिवक्ता से संपर्क भी कर रहे हैं।

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परीक्षा में फर्जीवाड़ा कराने का आरोप

दरअसल वर्ष-2004 से 2014 तक उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालय में संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारक बड़े पैमाने पर अध्यापक पद पर चयनित हुए थे। वहीं उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के डायटों द्वारा अंकपत्रों के सत्यापन रिपोर्ट दो तरह के रिपोर्ट भेज दी है। एक ही अनुक्रमांक के परीक्षार्थी को पहले फर्जी और बाद में प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण दर्शाया गया था। इसे लेकर भ्रम की स्थिति बन गई। शासन ने इसकी जांच एसआइटी को सौंप दी। एसआइटी ने यूपी के भी 75 जिलों में चयनित शिक्षकों के अंकपत्रों की जांच नए सिरे से कराई थी। तीन साल लगातार जांच करने के बाद एसआइटी ने मार्च 2021 में रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। साथ ही आरोपियों अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद एसआइटी ने लखनऊ में मुकदमा दर्ज कराया है।

ऐसे में अब कुलपति पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है, ऐसे में देखना होगा कि आगे क्या कार्रवाई होती है. लेकिन फिलहाल जो स्थिति है, उसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि उनकी मुश्किलें कम नहीं होने वाली है।


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