सात लोगों के सामूहिक नरसंहार से देशभर में कुख्यात हो गया बुरु गुलिकेरा Jamshedpur News
गुजरात के अे.सी कुंवर केशरी सिंह को भारत सरकार मानता है एक गुट यही पत्थलगड़ी समर्थक भी हैं। 10-12 घर ही यहां पत्थलगड़ी का विरोध करते हैं।
चाईबासा, सुधीर पांडेय। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बसा बुरु गुलिकेरा गांव में सात लोगों के नरसंहार के बाद देश भर में कुख्यात हो गया है। यह पूरा गांव पत्थलगड़ी की आग में जल रहा है। गुलिकेरा पंचायत में चार टोलेे आते हैं। इनमें ताड़सरजोम, जोनो, गुलिकेरा और बुरु गुलिकेरा हैं। बुरु गुलिकेरा में नरसंहार के पीछे पत्थलगड़ी ही मुख्य कारण है।
दरअसल, बुरु गुलिकेरा में दो तरह की शासन व्यवस्था चलती है। एक गुट गुजरात के अे.सी कुंवर केशरी सिंह , भारत सरकार को मानता है और पत्थरगड़ी का समर्थक है। इससे जुड़े सभी लोग अपने नाम के साथ अे.सी लगाते हैं। हालांकि अे.सी का मतलब गांव का कोई नहीं बता पा रहा है। सभी घरों में भारत सरकार व कुटुंब परिवार का बोर्ड लगा है। 10-12 परिवारों को छोड़कर सभी पत्थरगड़ी समर्थक हैं। दोपहर करीब 3 बजे जब जागरण टीम बुरु गुलिकेरा गांव पहुंची तो जितेन बुढ़ का बेटा निरंजन अपने घर पर भोजन करता नजर आया। घर के सामने टूटी पड़ी मोटरसाइकिल और जमीन पर फेंकी गयी तीन-चार साइकिल को देखकर जब निरंजन से सवाल किया तो बोला कि 16 जनवरी की रात को यहां कई घरों में तोडफ़ोड़ और लूटपाट हुई है। गांव में पांच घरों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है।
और शुरू कर दी तोड़फोड़
हमने सवाल किया, किसने किया ये सब? तो निरंजन बोला तीन मोटरसाइकिल पर 9-10 लोग शाम सात बजे आए और गाली देते हुए कहने लगे, यही पत्थलगड़ी है। इतना कहने के बाद घर में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। कुछ लोगों के हाथ में हथियार भी थे। डर के मारे हम लोग जंगल की ओर भाग गये। सुबह आकर देखा तो घर का सारा घरेलू सामान नष्ट पड़ा था। टीवी, मोटरसाइकिल, बक्सा, कूलर, फ्रिज, बिजली कनेक्शन और खाने के बर्तन तक बर्बाद कर दिए गए थे। घर में रखे कपड़े भी फेंक दिये थे। निरंजन से आगे कोई सवाल करते, उससे पहले ही उसने हाथों से दायीं तरफ इशारा करते हुए कहा कि आप लोग उधर जाइये, वहां सभी गांव वालों की बैठक चल रही है। वहीं जाकर जानकारी लीजिए। जाते-जाते निरंजन ने बताया कि 16 जनवरी की रात को अे.सी मुक्ता होरो, संजय बुढ़, अे.सी राणसी बुढ़, अे.सी कोचे, जितेंद्र बुढ़, मनसुख बुढ़ और रोशन बरजो के घरों को क्षति पहुंचायी गयी थी।
ले लिया है नुकसान का बदला
निरंजन से बात कर जब हम बैठक स्थल की ओर जाने लगे तब तक बैठक खत्म हो चुकी थी। लोग अपने-अपने घर की ओर जा रहे थे। इनमें महिला, बच्चे और बूढ़े भी शामिल थे। गांव के मुंडा अे.सी बुदुआ बुढ़ ने हाथ में कापी-पेन व मोबाइल देखकर रोका। अपनी भाषा में सवाल दागा, आप लोग कौन हैं? हम लोगों के साथ आए कोंजन गांव के युवा बिरसा ने उन्हें बताया कि मीडिया से हैं ये लोग। इसके बाद करीब 50-60 लोगों के साथ बुदुआ हम लोगों को अे.सी मुक्ता होरो के घर पर ले गये। वहां मुक्ता ने पूरी तरह तहस-नहस किये गये घर को दिखाया और बताया कि घर में तोडफ़ोड़ से रोकने पर उन लोगों ने उसे पीटा भी थी। सबकुछ बर्बाद कर दिया था। इसी बीच उन्हीं में से एक ग्रामीण ने बोला कि हम लोगों ने नुकसान का बदला ले लिया है। गांव में जो कुछ भी हुआ ठीक हुआ। जो लोग मारे गये हैं उन्हें सही सजा मिली है। इस नरसंहार से किसी को कोई पछतावा नहीं है।
इधर पसरा था सन्नाटा
पूर्व मुखिया मुक्ता होरो के पति राणसी बुढ़ ने बीच में कहा कि जिस तरह सड़े आलू को अलग कर दिया जाता है, उसी तरह हम लोगों ने गांव से खराब लोगों को हटा दिया है। राणसी के मुताबिक सातों लोगों के मरने का उनके परिवारवालों को भी कोई पछतावा नहीं है। पत्थरगड़ी समर्थकों के बीच से निकलकर हम लोगों ने उन लोगों के घरों का रुख किया जो नरसंहार में मारे गये थे। इन घरों में सन्नाटा पसरा हुआ था। सभी लोग डर के मारे अपने-अपने घर से गायब थे। यहां पसरा सन्नाटा बता रहा था कि पत्थलगड़ी की आग में यह पूरा गांव सुलग रहा है।