स्कूलों के विलय में अटका रोड़ा, पारा शिक्षकों का नहीं उतर रहा पारा
चौतरफा विरोध को देखते हुए स्कूलों के विलय की राह में भी रोड़ा अटक गया है। हड़ताल और विरोध को देखते हुए शिक्षा विभाग फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है।
जमशेदपुर, जेएनएन। एक तरफ पारा शिक्षकों का पारा कम होने का नाम नहीं ले रहा है और वे पिछले 33 दिनों से हड़ताल पर डटे हैं। उधर, चौतरफा विरोध को देखते हुए स्कूलों के विलय की राह में भी रोड़ा अटक गया है। हड़ताल और विरोध को देखते हुए शिक्षा विभाग फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है।
पारा शिक्षक स्थायीकरण और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। प्रखंड और जिला स्तर पर हड़ताली पारा शिक्षक लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। बारिश के बाद भी जमशेदपुर के साकची बीआरसी के सामने छाता लेकर शिक्षक धरना में शामिल हुए और दुमका में धरना देने के दौरान मरे पारा शिक्षक कंचन कुमार दास को कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद पारा शिक्षक हड़ताल पर डटे हुए हैं। एकीकृत पारा शिक्षक संघ ने दुमका में धरना दे रहे पारा शिक्षक कंचन कुमार दास की मौत पर शोक व्यक्त किया।
पारा शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुमित कुमार तिवारी ने कहा कि साथी पारा शिक्षक का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, अब आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सरकार के रवैये के प्रति आक्रोश जताने के लिए पारा शिक्षक कैंडल मार्च निकालेंगे। यह कैंडल मार्च आमबगान से निकलकर साकची गोलचक्कर तक जाएगा।
मात्र 190 पारा शिक्षकों ने दिया योगदान
अब तक पूर्वी सिंहभूम जिले में 2198 पारा शिक्षकों में से मात्र 190 पारा शिक्षकों ने कार्य में योगदान देने की रिपोर्ट स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजी है।
नहीं सौंपी जा सकी है सत्यापित रिपोर्ट
स्कूलों के विलय का विरोध शुरू होने की वजह से शिक्षा विभाग सकते में है। सबसे ज्यादा विरोध घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र में हो रहा है। यहां ग्रामीण विलय के विरोध में जुलूस निकाल रहे हैं और विलय नहीं होने देने का संकल्प जता रहे हैं। 15 दिसंबर तक स्कूलों की सत्यापित सूची जमा करनी थी, लेकिन विरोध के डर से अभी तक सूची नहीं दी गई है।