कोल्हान विवि में पढ़ाई जाती है साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित श्याम बेसरा की किताब
संताली में साहित्य अकादमी से सम्मानित होने वाले श्याम बेसरा की किताब कोल्हान विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है।
जमशेदपुर, जेएनएन। संताली में साहित्य अकादमी से सम्मानित होने वाले श्याम बेसरा की किताब कोल्हान विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है। संयोग है कि इन्हें जिस उपन्यास 'मारोम' के लिए अकादमी ने चुना है, यहां वही किताब पाठ्यक्रम में शामिल है। वैसे जामताड़ा जिले के मिहिजाम स्थित आमबगान निवासी श्याम बेसरा का संताली कहानी संकलन सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय, दुमका में पढ़ाया जाता है।
रेलवे में टीटीई के पद पर कार्यरत बेसरा अब तक एक सौ से अधिक कविता, कहानी व लेख हिंदी और संताली भाषा में लिख चुके हैं। इनकी कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। ये संथाली मासिक कविता पत्र 'एभेन आड़ाड' का संपादन कर चुके हैं। इन्हें असम विधानसभा के अध्यक्ष पृथ्वी माझी ने नवंबर 2017 में पुस्तक 'मारोम' के लिए सम्मानित किया था। इनकी रचनाओं में आदिवासी लोक जीवन की झलक मिलती है। श्याम बेसरा का जन्म 12 फरवरी 1961 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला स्थित रामकनाली गांव में हुआ था।
अन्य सम्मान
- 1992 में आंबेडकर फेलोशिप सम्मान
- 1997 में भारतीय दलित साहित्यकार अकादमी नई दिल्ली और भाषा संगम दुमका द्वारा विशेष हिंदी सेवा सम्मान
- 2014 में देवघर उपायुक्त द्वारा राष्ट्रीय शिखर सम्मान
- 2017 में गांधी मैदान जामताड़ा में विश्व आदिवासी दिवस पर सम्मान
24 भाषाओं में पुरस्कार की हुई है घोषणा
साहित्य अकादमी ने बुधवार को 24 भाषाओं में प्रतिष्ठित वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा की। हिंदी में चित्रा मुद्गल, अंग्रेजी में अनीस सलीम, उर्दू में रहमान अब्बास, संस्कृत में रमाकांत शुक्ल, संताली में श्याम बेसरा, ओड़िया में दशरथि दास समेत कुल 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार देने का एलान किया गया।