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साइकिल ने दिलाई दुनिया में पहचान, पांच बार किया भारत का प्रतिनिधित्व

world bicycle day. 18 साल की उम्र से साइकिल चलाने की ललक ने इन्हें दुनिया में पहचान दिलाई। साइकिल चलाने की बदौलत इंद्रजीत ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 12:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 12:29 PM (IST)
साइकिल ने दिलाई दुनिया में पहचान, पांच बार किया भारत का प्रतिनिधित्व
साइकिल ने दिलाई दुनिया में पहचान, पांच बार किया भारत का प्रतिनिधित्व

जमशेदपुर, अरविंद श्रीवास्तव। कोई खेल या कोई काम छोटा नहीं होता है। इसे चरितार्थ कर दिखाया है टेल्को निवासी सरदार इंद्रजीत सिंह ने। 18 साल की उम्र से साइकिल चलाने की ललक ने इन्हें दुनिया में पहचान दिलाई। जिला, राज्य व देश कौन कहे साइकिल चलाने की बदौलत इंद्रजीत ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया है।

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इन्हें पांच बार भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। साइकिल चलाने की वजह से ही इन्हें जुलाई 1982 में टाटा मोटर्स में सीधी नौकरी मिली है। आज ये टाटा हिताची के जमशेदपुर प्लांट में कार्यरत हैं। साथ ही टेल्कोन वर्कर्सयूनियन के उपाध्यक्ष पद पर रहकर मजदूरों की सेवा कर रहे हैं। ये टेल्को गुरुद्वारा के प्रधान व सेंट्रल गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं। फिलहाल पटना साहेब के अध्यक्ष हैं। 

बैंकॉक में भारत का प्रतिनिधित्व किया 

इंद्रजीत सिंह पहली बार अप्रैल-82 में बैंकॉक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। फिर नवंबर 1982 में दिल्ली एसियन गेम हुआ जिसमें पूरे एसिया में भारत को पांचवा नंबर आया। इसमें इंद्रजीत सिंह ने 100 किमी साइकिल (रेस रोड टीम ट्रायल) में अव्वल हुए थे। उसके बाद 1983 में इटली के रोम में वल्र्ड स्टेज रोड रेस का आयोजन हुआ था जिसमें इंद्रजीत सिंह शामिल हुए। इसके बाद 1983 में ही फिलिस्तिन के मनीला में भी इन्होंने भारतीय टीम से शामिल हुए। वहीं 1986 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोर में एसियाई खेल आयोजत की गई थी जिसमें इंद्रजीत ने अपनी साइकिल का परचम फहराया था।

स्टील साइक्लोस ने की 42 किमी की राइडिंग 

 जमशेदपुर के एसएसपी अनूप बिरथरे। 

स्टील साइक्लोस ने 42 किलोमीटर की दूरी कर साइकिल दिवस को यादगार मनाया। 12 राइडरों की इस टीम ने बिष्टुपुर सर्किट हाउस साई मंदिर के सामने से सुबह साढ़े चार बजे अपनी यात्रा शुरू की। इस दौरान टीम के सदस्यों ने मरीन ड्राइव से नए दोमुहानी पुल से होते हुए डोबो, चांडिल से कांड्रा, गम्हरिया होते हुए फिर वापस कांदरबेडा होते हुए जमशेदपुर पहुंचे। इस दौरान टीम के सदस्यों ने कांदरबेडा में स्वर्णरेखा नदी में नहाए भी। इस टीम में आभास मूनका, विवेक शर्मा, हेतन मेहता, सरबजीत सिंह, दिनेश कुमार, कृष्ण मूर्ति, समीर बुद्वदेव सहित अन्य शामिल थे। आभास का कहना है कि टीम के अधिकतर सदस्य नौकरीपेशा या किसी व्यापार से जुड़े हुए हैं इसलिए आयोजन रविवार को किया गया था। हमारी टीम पिछले दस वर्षों से साइकिल से शहर के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते हैं। इस टीम में 76 सदस्य हैं। 

जुबली पार्क में मिलती है भाड़े पर साइकिल

 टीएमएच की डॉक्टर पूनम वर्मा।

टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई, जमशेदपुर यूटिलिटी एंड सर्विसेज कंपनी लिमिटेड (जुस्को) के सहयोग से जुबली पार्क में भाडे पर साइकिल मिलता है। यहां पर एक घंटे के लिए 15 जबकि आधे घंटे के लिए दस रुपये में साइकिल भाड़े पर मिलते हैं। इसके लिए उन्हें एक एप डाउनलोड करना पड़ता है। जीपीएस ट्रैकर लगे इस साइकिल को पार्क के बाहर लेकर नहीं जा सकते हैं। अगर किसी ने इसे बाहर ले जाने की कोशिश की तो जीआइओ फेसिंग एक्टिंव हो जाएंगे और अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। 

साइकिल चलाना है दिनचर्या में शामिल

टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते। 

टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते दिनचर्या में साइकिल चलाना शामिल है। गुरमीत सिंह प्रतिदिन सुबह पांच से छह बजे तक अपने साथियों के साथ साइकिल चलाते हैं। उनका कहना है कि साइकिल चलाना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। साइकिल चलाने वालों को किसी प्रकार की योग व व्यायाम करने की जरूरत नहीं है। साइकिल चलाने से शरीर को स्फूर्ति मिलती है तथा वे स्वस्थ रहते हैं। 

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