सिर्फ 12 हजार में जुगाड़ से बना दिया डिसइंफेक्शन चैंबर
कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ और उस पर नियंत्रण की तकनीक की खोज के बीच शहर पांच लोगों ने सिर्फ बारह हजार रुपये में फुल बॉडी डिसइंफेक्शन चैंबर बना दिया। बाजार में इस चैंबर की कीमत एक लाख के करीब है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ और उस पर नियंत्रण की तकनीक की खोज के बीच शहर पांच लोगों ने सिर्फ बारह हजार रुपये में फुल बॉडी डिसइंफेक्शन चैंबर बना दिया। बाजार में इस चैंबर की कीमत एक लाख के करीब है। इसे बनाने वाले विनय कुमार, विनोद कुमार, रत्नेश मिश्रा, रिकू और इरशाद अहमद टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड (पूर्व में जुस्को) के सिदगोड़ा वाटर वर्क्स में कार्यरत हैं।
इन लोगों ने बताया कि ड्यूटी में कोरोना संक्रमण चर्चा के दौरान डिसइंफेक्शन चैंबर का आइडिया आया। अगले दिन बाजार से 0.5 हार्स पावर क्षमता का टुल्लू पंप और 10 मीटर लंबी प्लास्टिक की पाइप का इंतजाम किया गया। उसके बाद एल्बो और प्रेशर कम-ज्यादा करने के लिए नोजल का जुगाड़ किया। उसके बाद चैंबर की छत व दो तरफ की दीवार के लिए पुराने होर्डिग की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया। सभी सामग्रियों को जोड़कर बहुत हल्का और किफायती चैंबर तैयार हो गया। विनय कुमार ने बताया कि अपनी टीम की तकनीक को पेटेंट कराने की सोच रहे हैं। नहीं होती रसायन की बर्बादी : चैंबर के बाहरी हिस्से में एक बड़ा बटन लगा है। चैंबर के अंदर प्रवेश करने वाला व्यक्ति अपने पैर से उस बटन को दबाते हुए आगे बढ़ेगा। इस बटन में दो तांबे की प्लेट के बीच एक स्प्रिंग लगी हुई है। जब स्प्रिंग दबते ही बिजली के तार से जुड़ा 'स्विच मोड पावर सप्लाई' (एसएमपीएस) और मोटर चालू हो जाता है। इसके साथ ही चैंबर में लगी पाइप में बने छोटे-छोटे छिद्रों से शरीर पर सोडियम हाइपोक्लोराइड रसायन का स्प्रे होने लगता है। इससे रसायन बर्बादी भी नहीं होती। एक बार बटन दबाने पर केमिकल स्प्रे की प्रक्रिया 10 सेकेंड तक चलती है, जो किसी भी व्यक्ति को सैनिटाइज करने के लिए पर्याप्त है। कोट
डिसइंफेक्शन चैंबर से बार-बार गुजरने पर भी कोई नुकसान नहीं होता है। इसका केमिकल शरीर को संक्रमण मुक्त करने के बाद उड़ जाता है। शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
- डॉ. आरएल अग्रवाल, फिजिशियन