1.47 करोड़ घोटाले पर नहीं दे सके सफाई, किए गए बर्खास्त
शाखा प्रबंधक अपने पक्ष में कोई सफाई या ऐसा तथ्य उपलब्ध नहीं करा सके जिससे उन पर लगे आरोप गलत हों।
जमशेदपुर(जेएनएन)। करीब डेढ़ करोड़ के घोटाले में कोई सफाई नहीं दे पाए को-ऑपरेटिव बैंक जादूगोड़ा के शाखा प्रबंधक। आखिरकार उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक उमेश कुमार सिंह पर लगा 1.47 करोड़ रुपये घोटाला करने का आरोप सही पाया गया है। जांच टीम ने इसकी पुष्टि की है।
रांची मुख्यालय सहकारिता बैंक के रजिस्ट्रार शिशिर कुमार सिन्हा ने दूरभाष पर बताया कि इस मामले में शाखा प्रबंधक अपने पक्ष में कोई सफाई या ऐसा तथ्य उपलब्ध नहीं करा सके जिससे उन पर लगे आरोप गलत हों। इसलिए उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। उनकी सेवा अब पूरी तरह से खत्म कर दी गई है। उमेश पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी में रहते हैं। वहीं सहायक प्रबंधक राज श्रीवास्तव पर भी आरोप सही पाया गया है, जिससे उनकी भी मुश्किल बढ़ सकती है। फिलहाल उनका स्थानांतरण दुमका कर दिया गया है। पुष्टि होने के बाद उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
संजय बने नए शाखा प्रबंधक
कोडरमा के सहायक प्रबंधक संजय कुमार को को-ऑपरेटिव बैंक जादूगोड़ा शाखा का नया प्रबंधक नियुक्त किया गया है। बैंक में कार्यरत सात कर्मचारियों को भी जादूगोड़ा शाखा से स्थानांतरित कर दिया गया है। जल्द ही बैंक में नए कर्मचारी पदस्थापित होंगे। जानकारी के मुताबिक ब्रांच के सहायक प्रबंधक राज श्रीवास्तव का दुमका, सहायक शिवराज गुप्ता का नाला, कंप्यूटर ऑपरेटर मीना कुमारी का कोडरमा व आपरेटर रमन शर्मा का तबादला छतरपुर किया गया है। एजीएम सह शाखा प्रबंधक उमेशचंद्र ङ्क्षसह को पहले ही क्षेत्रीय कार्यालय चाईबासा भेज दिया गया था। अब वहां से भी उन्हें हटा दिया गया है। इस बैंक में कुछ कर्मचारी वर्षों से जमे हुए हैं। अब सबको बदला जाएगा।
सुधार के लिए उठाए जाएंगे नए कदम
शिशिर कुमार सिन्हा ने बताया कि काम में पारदर्शिता लाने के लिए सभी बैंक में एक एप्प लोड किया गया है, जिससे बैंक के लेन-देन की गतिविधियों पर रोजाना नजर रहेगी। सभी काम ऑनलाइन कर दिया जाएगा।
अखबार में नाम देख कर उड़े होश
समाचार पत्रों में फर्जी लोन के एकाउंट में जादूगोड़ा के कुछ लोगों ने अपना नाम देखा तो होश उड़ गए। सोचने लगे कि कहीं हम भी इसके शिकार न हो जाएं। 23 लोगों में टी. लाहा, दुर्गा महाली, लक्ष्मी बेलदार आदि के नाम घोटाले में आए थे। सभी ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस बैंक से लोन नहीं लिया, लेकिन अखबार में नाम आने से हम सब काफी चिंतित हो गए थे।
क्या है मामला
जांच टीम में शामिल संयुक्त रजिस्ट्रार चंद्रदेव रंजन, सहायक रजिस्ट्रार अशोक तिवारी व उमाकांत पांडेय शामिल थे। बैंक मैनेजर उमेश चंद्र सिंह समेत जादूगोड़ा शाखा के अन्य कर्मचारियों पर गलत ढंग से 1.47 करोड़ रुपये का लोन उदयकांत सिंह (जमशेदपुर) मो. हमीद (मुसाबनी) को देने का आरोप लगा है। इतना ही नहीं, लोन की रकम की भरपाई के लिए फर्जी तरीके से 23 एकाउंट खोले गए। हर खाते में 6.42 लाख जमा कर कुछ दिनों में सारे एकाउंट को क्लोज कर दिया गया था। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब रांची निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता एनामुल हक ने पिछले दिनों जांच की मांग उठाई थी।
इन व्यक्तियों के नाम से निकाला गया लोन
शिकायतकर्ता एनामुल हक ने बताया कि हर खाते से 6 लाख 42 हजार रुपये निकाले गए, जिसमें हरेराम सिंह, दुर्गा महाली, लुबेन मुर्मू, जैमेत उरांव, असित कुमार गोप, लक्ष्मी बेलदार, एके गिरी, सुधीर मुखी, रवि शेखर दास, मनदार महाली, मोहनी सिंह, नरेंद्र पात्रो, गणेश सरदार, ठाकुर दास, राम हेम्ब्रम, संजीव कुंडीवाला, जीर चंद्र गोप, शंकर पात्रो, एके भकत, राजेश हेम्ब्रम, अरविंद कुमार, चंद्रकला राउत व टीके लाहा हैं। किसी भी व्यक्ति द्वारा लिए गए लोन का भुगतान कभी भी कोई भी बैंक अपने खाते से नहीं करता है, लेकिन शाखा प्रबंधन उमेश सिंह द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत बैंक में गबन करने के उद्देश्य से पहले 23 व्यक्तियों के नाम से फर्जी खाते खोले गए। इसके बाद कर्मचारी व अधिकारी की मिलीभगत से राशि निकासी की गई। इस नाम के खाता का कोई डिटेल्स कहीं भी नहीं है।