शादी के बाद बांग्लादेश से भारत भाग आए प्रेमी युगल, आठ साल बाद हुआ कुछ ऐसा
पुलिसकर्मी की बेटी से प्यार अौर शादी युवक को महंगा पड़ा। उसे देश छोड़ना पड़ा। जब परिवार वाले माने तो एक और नई मुसीबत गले पड़ गई।
जमशेदपुर, जासं। पहचान छिपाकर झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर में रह रहे बांग्लादेशी राबिया और शाहीन के बारे में नया खुलासा चौंकाऊ है। दोनों ने लव मैरिज की थी और परिवार द्वारा नहीं स्वीकारे जाने के बाद आठ वर्ष पूर्व ही भारत चले आए थे। विभिन्न जगहों पर रहते हुए जमशेदपुर आए जहां पांच वर्ष से रह रहे थे। पुलिस ने आजादनगर से शाहीन महमूद को गिरफ्तार कर कोर्ट में शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जहां से न्यायिक अभिरक्षा में उसे जेल भेज दिया गया।
राबिया बसरी अपनी छह साल की बेटी के साथ बांग्लादेश में है। वह 21 दिसंबर 2018 को बांग्लादेश के हरदासपुर बोर्डर के पास पकड़ी गई थी। राबिया बसरी के पासपोर्ट व अन्य भारतीय कागजात को जब्त कर पुलिस ने उसे बच्ची के साथ बांग्लादेश भेज दिया था। पुलिस को दिए बयान में शाहीन महमूद ने बताया है कि वह मूलरूप से बांग्लादेश के फरीदपुर जिले के भांगा थाना के हमीरडीह गांव का निवासी है। वह अपनी पत्नी राबिया बसरी के साथ गुप्त तरीके से तकरीबन नौ साल पहले बांग्लादेश के राणाघाट बोर्डर से भारत में प्रवेश कर गया तथा कोलकाता, रायरंगपुर होते हुए पिछले पांच साल से जमशेदपुर में रह रहा था।
पुलिसकर्मी की पुत्री है राबिया : शाहीन महमूद ने बताया कि वह बांग्लादेश के पुलिसकर्मी की पुत्री राबिया बसरी से प्यार करता था। दोनों ने शादी कर ली। शादी कर लेने के बाद दोनों ही परिवार ने स्वीकार नहीं किया और जान के दुश्मन बन गए। फिर दोनों ने देश ही छोड़ देने का फैसला लिया। दुर्गापूजा के समय जब बोर्डर इलाके में नरमी बरती जाती है दोनों राणाघाट बोर्डर के पास गुप्त रास्ते से भारत में प्रवेश कर गए। तीन महीना तक पति-पत्नी बोर्डर इलाके में ही रहे। इसके बाद कोलकाता आ गए। कोलकाता में पीयरलेस अस्पताल के पास स्थित एक बस्ती में सात माह तक रहे। वहीं एक वकील के माध्यम से अपना तथा अपनी पत्नी का पैन कार्ड बनवाया। शाहीन ने बताया कि हमलोग काम की तलाश में ओडिशा के रायरंगपुर के रानीबेडा के वार्ड नंबर 11 में चले गए। वही पुत्री पैदा हुई।
रायरंगपुर में बनवाया वोटर आइ कार्ड : शाहीन महमूद ने पुलिस को बताया कि रायरंगपुर में एक दिन स्कूल की शिक्षिका आई और कहा कि जिसका वोटर कार्ड व आधार कार्ड नहीं बना है स्कूल में आकर लाइन में लग जाएं। वहां नाम-पता पूछने के बाद हमदोनों का वोटर आइ कार्ड बन गया। इसके बाद वोटर कार्ड से आधार कार्ड बन गया। रायरंगपुर में आमदनी कम होने के कारण एक दिन जमशेदपुर के धतकीडीह में काम करने के लिए आए। यहां प्रतिदिन रायरंगपुर से आते थे और काम कर वापस चले जाते थे।
चार साल पहले आ गए जमशेदपुर
यह सिलसिला 15 दिनों तक चलता रहा। इसके बाद करीब चार साल पूर्व हमलोग टाटा आ गए और किराए का मकान खोजते हुए राजमहल पहुंचे। हमलोगों के पास आधार कार्ड पैन कार्ड, वोटर कार्ड था इसलिए हमलोगों को घर मिलने में दिक्कत नहीं हुई। राजमहल में फ्लैट संख्या 504 को किराए पर लिया और अपना पेंटिंग का धंधा शुरू कर दिया। दो वर्ष पूर्व फ्लैट 504 के मालिक सहादत खान ने फ्लैट खाली करवा दिया। इसके बाद उसी फ्लोर पर मो. ताहिर का फ्लैट 501 किराए में लिए। किसी के पूछने पर हमलोग खुद को बंगाली बताते थे।
पासपोर्ट बनने के बाद राबिया मायके जाने के क्रम में पकड़ी गई
पूछताछ में शाहीन महमूद ने बताया कि जब पत्नी राबिया व पुत्री सादिया का पासपोर्ट बनकर आ गया तो पत्नी ने मायके जाने का प्लान बनाया। पत्नी की मां व भाई उसे लेने के लिए जमशेदपुर आए थे। शाहीन ने बताया कि हम सभी को छोड़ने के लिए कोलकाता गए थे। कोलकाता में साल्टलेक के पास ढाका की बस में बैठाकर वापस जमशेदपुर लौट आए। बांग्लादेश बोर्डर के पास जांच के क्रम में वह पकड़ी गई। बोर्डर में पूछने पर पत्नी ने बता दिया कि वह बांग्लादेशी है। इसी बात पर बोर्डर पर उसकी गहन जांच-पड़ताल हो गई। बोर्डर पुलिस ने कागजात को जब्त कर उसे बांग्लादेश भेज दिया। जांच के क्रम में पता चला कि सारे कागजात फर्जी तरीके से बनाए गए थे।