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सहाफत, तिजारत व तालीम को तरजीह दें मुसलमान

शहर में ईद-उल-अजहा का त्योहार पूरे अकीदत और एहतेराम के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 01:00 AM (IST)
सहाफत, तिजारत व तालीम को तरजीह दें मुसलमान
सहाफत, तिजारत व तालीम को तरजीह दें मुसलमान

जागरण संवाददाता जमशेदपुर : शहर में ईद-उल-अजहा का त्योहार पूरे अकीदत और एहतेराम के साथ मनाया गया। ईदगाह और शहर की तमाम मस्जिदों में ईद-ए-कुर्बान की खास नमाज अदा की गई। आमबगान, जुगसलाई, धतकीडीह और आजाद नगर ईदगाह में नमाजी ठसाठस भरे रहे। साकची जामा मस्जिद, धतकीडीह बड़ी मस्जिद और मानगो की बारी मस्जिद भी नमाजियों से भरी रही। टेल्को ईदगाह में भी मौलाना मंजर मोहसिन की तकरीर सुनने के लिए नमाजियों का मजमा उमड़ा। मौलाना ने अपनी तकरीर में मुसलमानों से सहाफत तालीम और तिजारत पर अपना फोकस करने को कहा। मौलाना ने लोगों को समझाया कि तिजारत पैगंबर अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. की सुन्नत है। इसमें अल्लाह आप की रोजी को कई गुना बढ़ा देता है। मौलाना ने बताया कि कुर्बानी हर हैसियतमंद पर वाजिब है। यह कुर्बानी ट्रेनिंग है, ताकि लोगों के दिलों में अपने मुल्क और इंसानियत के लिए कुर्बानी का जज्बा पैदा हो। कुर्बानी के लिए इंसान का दौलतमंद होना जरूरी नहीं। जिनके पास इल्म है वो अच्छा मशवरा दे कर भी अपने देश और कौम की मदद कर सकते हैं। नमाज के बाद मौलाना ने मुल्क की तरक्की और एकता के लिए सामूहिक दुआ भी कराई।

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तीन दिन चलेगा कुर्बानी का दौर

कुर्बानी और मुहब्बत का यह त्योहार तीन दिन चलेगा। बुधवार को सुबह मस्जिदों में ईद की खास नमाज पढ़ी गई। कुरबानी का सिलसिला शुरू हुआ जो शुक्रवार तक जारी रहेगा। नमाज में उलेमा ने लोगों को ईद-ए-कुर्बान के हवाले से सब्र, कुर्बानी और दूसरों के जज्बों के एहतेराम का सबक दिया।

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छह ईदगाह व 104 मस्जिदों में पढ़ी गई नमाज

शहर में ईद उल अजहा की नमाज छह ईदगाह और 104 मस्जिदों में पढ़ी गई। मानगो में अहले हदीस मस्जिद में सुबह सवा छह बजे शहर की पहली जमात खड़ी हुई। इसके बाद साकची जामा मस्जिद, मस्जिद-ए-रहमान, आमबगान ईदगाह, धतकीडीह बड़ी मस्जिद, धतकीडीह ईदगाह, फारूखी मस्जिद शास्त्रीनगर, बिष्टुपुर मस्जिद, जुगसलाई ईदगाह, मानगो बारी मस्जिद, बर्मामाइंस ईदगाह, टेल्को मस्जिद, मानगो ईदगाह, जाफरी मस्जिद, इकरा मस्जिद, महवारी शरीफ ईदगाह बागबेड़ा, मानगो अहले हदीस मस्जिद, टेल्को में नमाजों का सिलसिला चला। आखिरी जमात साकची में हुसैनी मिशन में गुड्डन के क्वार्टर पर सुबह साढ़े नौ बजे हुई।

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हजारों औरतों ने पढ़ी बकरीद की नमाज

शहर की पाच मस्जिदों अहले हदीस जामा मस्जिद ओल्ड पुरुलिया रोड, अहले हदीस मस्जिद कपाली रोड, प्रोफेसर कॉलोनी रोड नंबर 17 मानगो मस्जिद, शास्त्रीनगर अहले हदीस मस्जिद और टेल्को अहले हदीस मस्जिद में महिला नमाजियों की भी खासी तादाद रही। जामा मस्जिद में औरतों के लिए मखसूस तीनों मंजिल के हाल भरे रहे। अहले हदीस के इकबाल हसन बताते हैं कि यहा कम से कम एक हजार औरतों ने ईद की नमाज पढ़ी। पेश इमाम उमैर सलफी ने महिलाओं को इबादत में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने को कहा। कहा कि महिलाओं को मस्जिदों में आने से रोकना ठीक नहीं है। अहले हदीस के इकबाल हसन ने हदीस शरीफ के हवाले से बताया कि कुर्बानी के जानवर की खाल पर गरीब और मिस्कीन का हक है। प्रोफेसर कॉलोनी मस्जिद में तकरीबन 300 महिलाओं ने नमाज अदा की। मस्जिदों में महिलाओं के नमाज पढ़ने को कौम में एक बड़ी तब्दीली के तौर पर देखा जा रहा है।

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हजरत इब्राहिम जैसा हो बाप का किरदार

धतकीडीह बड़ी मस्जिद में ईद ए कुर्बान की नमाज के बारे में मौलाना अमीरुल हसन ने कहा कि एक बाप का किरदार हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम जैसा होना चाहिए। उन्होंने अल्लाह ताला के हुक्म को बेटे की मोहब्बत पर तरजीह दी और शैतान के बहकावे में नहीं आए। मौलाना ने कहा कि बेटा हजरत इस्माइल की तरह हो और मा हजरत हाजरा की तरह कि उन्होंने अल्लाह के हुक्म को माना।

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जिब्हे अजीम से बदली गई हजरत इस्माइल की कुर्बानी

मानगो के जाकिर नगर में मस्जिद ए जाफरिया में मौलाना सैयद मोहम्मद हसन रिजवी ने बकरीद की नमाज के खुतबे में हजरत इस्माइल की कुर्बानी का जिक्र करते हुए बताया कि उनकी कुर्बानी इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानी से तब्दील की गई। मौलाना ने कहा कि हजरत इस्माइल की पेशानी पर रसूले अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. का नूर था। इसलिए अल्लाह तआला ने हजरत इस्माइल को बचाया। आलम ए अनवार में अल्लाह ने पूछा कि हजरत इस्माइल को बचाने के लिए कौन अपनी कुर्बानी देगा। इमाम हुसैन खड़े हुए और अपनी कुर्बानी देना कुबूल की। इसी को वादा-ए तिफली कहते हैं। बाद में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला में इस्लाम और अपने नाना हजरत मोहम्मद मुस्तफा की शरीयत बचाने के लिए अपना घर बार भाई भतीजे दोस्त अहबाब सब कुर्बान कर दिए।

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बकरीद में गरीबों का भी रखें ख्याल

धतकीडीह ईदगाह में नमाज के बाद तकरीर में मुल्क में अमन चैन की दुआ मागी और क़ुरबानी की अहमियत बताई गई। बताया गया जिस जानवर पर पाबंदी है, उस पर कुर्बानी न करें। हाफिज मोहम्मद ने कहा कि हमने इस मुल्क को आजाद कराने में कुर्बानी दी है। हम इसके कानून की भी हिफाजत करेंगे। ईद में गरीबों का ख्याल जरूर करें। केरल के सैलाब पीड़ितों की मदद करें।

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मुस्तैद रहे दंडाधिकारी, सजग रही पुलिस

बकरीद पर जिले भर में लगभग 100 से अधिक दंडाधिकारी मुस्तैद रहे। साथ ही तमाम थानों की पुलिस भी सतर्क रही। शांति और उल्लास के माहौल में बकरीद का त्यौहार मना। इसके साथ ही सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों की भी सहयता ली गई। पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रखा।


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