जमशेदपुर के उलेमाओं ने कहा- बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड का कोई हक नहीं
जमशेदपुर के उलेमाओं ने कहा है कि बाबरी मस्जिद से शिया वक्फ बोर्ड का कोई सरोकार नहीं है। इसलिए इस विवाद में उसे चुप रहना चाहिए। सिर्फ और सिर्फ अदालत का फैसला ही मान्य होना चाहिए।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान बाबरी मस्जिद पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी है। उलेमा का कहना है कि मस्जिद किसी की नहीं होती। बाबरी मस्जिद भी किसी मसलक या समुदाय की नहीं है। ये पूरे मुसलमान की है। कोई एक संस्था या शख्स इसे लेकर फैसला नहीं ले सकता। ये अल्लाह की होती है और इस पर शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कोई हक नहीं है। उलेमा का कहना है कि विवाद सुप्रीम कोर्ट में है और इस पर कानूनी दायरे के तहत ही फैसला होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगी वो सभी मानेंगे।
मौलाना सैफुद्दीन असदक, पेश इमाम इमाम हुसैनी मस्जिद जाकिर नगर ने कहा कि मस्जिद बहरहाल मस्जिद है। मसलकी विवाद अपनी जगह है। किसी भी मसलक की मस्जिद के साथ कुछ होता है तो सारे मुसलमान सामने आएंगे। कुछ ताकतें मस्जिद के बहाने मसलकों में फूट डालना चाहती हैं। शिया वक्फ बोर्ड में भी सियासी नेता हैं। शिया मसलक में ही उनका विरोध है। ऐसे में उनकी बात नहीं मानी जानी चाहिए।
मौलाना रजाउल, पेश इमाम गोलमुरी मस्जिद ने कहा कि यह सरासर गलत है। मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड की नहीं है। मस्जिद मुसलमानों की है। इस मामले में किसी संस्था या व्यक्ति के दावे को अहमियत नहीं दी जानी चाहिए। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट को कानून के दायरे में ही फैसला करना चाहिए। इस मामले में शिया वक्फ बोर्ड की कोई हैसियत नहीं है। वो कौन होते हैं बाबरी मस्जिद की जमीन किसी को भी देने वाले। मुसलमान इसे नहीं मानते।
रियाज शरीफ, अध्यक्ष ह्युमनिटी फाउंडेशन ने कहा कि इस मुकदमे में शिया वक्फ बोर्ड की कोई हैसियत ही नहीं है। मुकदमे में अब तक शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड का वकालतनामा तक दाखिल नहीं हुआ है। इस मुकदमे में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-¨हद, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी, निर्मोही अखाड़ा और रामजन्म भूमि न्यास पार्टी है। जो इस मुकदमे के पक्षकार हैं उन्हीं की बात मानी जाएगी। जो पक्षकार ही नहीं है वो कुछ भी कहे उसकी बात पर गौर नहीं करना चाहिए।
सऊद आलम कासमी, शहर काजी इमारत-ए-शरिया ने कहा कि बाबरी मस्जिद के बारे में बोलने वाला शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड कौन होता है। मस्जिद की जमीन अल्लाह की जमीन होती है। अल्लाह की जमीन देने का हक शिया वक्फ बोर्ड को नहीं है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी अपनी जायदाद दान कर दें। मस्जिद कयामत तक मस्जिद होती है। यहां अल्लाह की इबादत होती है। कोई इसे किसी को नहीं दे सकता। मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इस पर अदालत को फैसला देना चाहिए।
मौलाना मंजर मोहसिन, पूर्व पेश इमाम मक्का मस्जिद धतकीडीह ने कहा कि बाबरी मस्जिद को लेकर मसलकी विवाद को हवा देने की साजिश रची जा रही है। मस्जिद शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की नहीं है। इसे लेकर जो मुकदमा चल रहा है उसमें ये बोर्ड अब तक पक्षकार भी नहीं बन है। जो मस्जिद का मालिक ही नहीं है वो उसे कैसे किसी को देने का एलान कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट को इस विवाद को हल करना चाहिए। मुसलमान सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए तैयार हैं।
सैयद मोहम्मद हसन रिजवी, पेश इमाम मस्जिद उम्मे खलील जाकिर नगर मानगो ने कहा कि यह बेहद नाजुक मसला है। इसे बेहद सावधानी से हल करना चाहिए। मस्जिद अल्लाह की होती है। इस पर किसी एक शख्स का अधिकार नहीं होता ना ही किसी संस्था का। सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। हम सब को सुप्रीम कोर्ट और देश के संविधान व कानून पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला करेगा उसे हम सब मानने के लिए तैयार हैं।