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थाना क्षेत्र को अपराधमुक्त साबित करने का थानेदारों का फार्मूला आपको कर देगा हैरान

फरियाद लेकर थाने की चौखट पर पहुंचे लोग जब बैरंग लौटने को मजबूर होते हैं तो अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 01:46 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 01:46 PM (IST)
थाना क्षेत्र को अपराधमुक्त साबित करने का थानेदारों का फार्मूला आपको कर देगा हैरान
थाना क्षेत्र को अपराधमुक्त साबित करने का थानेदारों का फार्मूला आपको कर देगा हैरान

जमशेदपुर [गुरदीप राज]। चंद थानेदारों की वजह से पुलिस महकमे की साख पर बट्टा लग रहा है। फरियाद लेकर थाने की चौखट पर पहुंचे लोग जब बैरंग लौटने को मजबूर होते हैं तो अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। यही वजह है कि पूर्वी सिंहभूम के थानों में दर्ज मामलों से अधिक संख्या अदालत में दर्ज शिकायतवाद की है।

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दरअसल, कई ऐसे थानेदार हैं जो अपने थानाक्षेत्र को अपराधमुक्त साबित करने के लिए पीडि़तों को थाना से ही भगा देते हैं और उनकी प्राथमिकी तक दर्ज नहीं करते। यदि प्राथमिकी दर्ज होगी तो ये साबित हो जाएगा कि उस थाने में अपराध की संख्या बढ़ रही है और थानेदार को साख खराब होगी। उच्चाधिकारियों से फटकार अलग से पड़ेगी। इसलिए थानेदार अपने थाना में प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करते हैं। 

आंकड़ों की बात करें तो जनवरी माह से 22 दिसंबर तक 2018 तक थानों में कुल 3500 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं। जबकि कोर्ट में 3700 शिकायतवाद दर्ज कराए गए, जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है। यदि थानों में ही पीडि़तों की समस्याओं को सुना जाता ये 3700 शिकायतवाद भी थाना में ही दर्ज किए जाते और पीडि़तों को पुलिस पर भरोसा और ज्यादा बढ़ जाता। 

 कई मामलों में न ही शिकायतवाद न ही प्राथमिकी 

जिले में कई ऐसी वारदात होती है जिसे पुलिस रफादफा कर देती है। उसमें न ही प्राथमिकी होती है और न शिकायत। कई मामले में तो लोग पुलिस के डर अकेले थाने नहीं जाना चाहते। वे किसी सफेदपोश के चक्कर में पड़ जाते हैं। ये सफेदपोश थाने में साठगांठ कर मामले को रफादफा करा देते हैं। यही कारण है कि लोग वकील के माध्यम से कोर्ट में शिकायतवाद दाखिल कराते हैं। कुछ मामलों में तो थाना में पीडि़तों की शिकायत ली ही नहीं जाती है, जिसके कारण न्याय की आस में पीडि़त कोर्ट की शरण में जाते हैं। फिर उक्त मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट संबंधित थानेदार को फटकार लगाते हुए उनके  निर्देश पर थाना में प्राथमिकी दर्ज की जाती है, जिसके बाद पुलिस उक्त मामले में कार्रवाई शुरू करती है। 

मोबाइल चोरी, शिकायत होती गुमशुदगी की 

थानों के एक से बढ़कर एक कारनामे हैं जो आम जनता को पुलिस से दूर करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। दूसरे शब्दों में पुलिस अपने काम को बढ़ाना नहीं जाती है जिसके कारण यदि किसी व्यक्ति का मोबाइल बाजार में या मेला में या घर से चोरी हो जाए तो थाने में चोरी की शिकायत पुलिसकर्मी नहीं लेते हैं और सिर्फ मोबाइल की गुमशुदगी का सनहा दर्ज कर देते हैं। यदि पुलिस उस मोबाइल चोरी की प्राथमिकी दर्ज करती है तो पुलिस को उसकी पड़ताल शुरू करनी होगी और फिर केस डायरी व चार्ज शीट तक तैयार कर कोर्ट में दाखिल करने का काम करना पड़ेगा, जिससे बचने के लिए आम जनता को सनाह दर्ज कराने का दबाव बनाती है। 

रिसीविंग तक नहीं मिलती थानों से

थाने में यदि कोई पीडि़त शिकायत करने जाते है तो उसे थाना से शिकायत की रिसीविंग तक नहीं दी जाती। मांगने पर उसे दुत्कार कर पुलिसकर्मी थानों से भगा देते हैं। कुछ वर्ष पहले जब इस जिला के कप्तान डॉ. अजय कुमार व नवीन कुमार सिंह थे तो उन्होंने सभी थानों के पीडि़तों को रिसिविंग कापी देने का निर्देश जारी किया था और इसे सख्ती से लागू भी कराया था। लेकिन अब फिर से थाना में मनमानी शुरू हो गई है। 

जनता का विश्वास नहीं जीत पा रही पुलिस 

पुलिस के वरीय अधिकारी आम जनता का विश्वास हासिल करने के लिए उनके पर्व त्योहार पर उनके पास जाते हैं लेकिन कुछ पुलिस के ऐसे अफसर व सिपाही हैं जो अपने दुव्र्यवहार के कारण जनता को पुलिस से दूर करने में अपनी भूमिका निभाते हैं।

आम जनता में पुलिस का खौफ, बदमाश हुए बेलगाम 

आम जनता में लगातार पुलिस का खौफ बढ़ता जा रहा है, लेकिन बदमाश बेलगाम होते जा रहे हैं क्योंकि जिस बदमाश की शिकायत करने के लिए आम जनता थाना में जाती है वही  थाने में पुलिस अधिकारी के साथ बैठकर चाय पीते हैं। ऐसे में न्याय की आस में आम जनता न्यायपालिका के शरण में जाना ही उचित समझती है। 

ये कहते अधिवक्ता

पुलिस पदाधिकारी यदि पीडि़तों की समस्याओं को सुन लें तो उनकी परेशानी आधी ऐसे ही दूर हो जाएगी, लेकिन पीडि़तों के साथ दुव्र्यवहार व थाना से बिना उनकी सुने उन्हें लौटा देने से पुलिस के प्रति आम जनता का विश्वास बदल गया है। जिसके कारण ही थानों से ज्यादा शिकायतवाद न्यायालय में दर्ज हो रहे हैं। 

-रंजनधारी सिंह, अधिवक्ता 


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