Move to Jagran APP

कभी डाकुओं की शरणस्थली था एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल

लंबे समय तक लाल आतंक के खौफ में रहा सारंडा जंगल कभी डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता था। डाकू जंगल में बनी प्राकृतिक गुफाओं में शरणस्थली बनाकर रहते थे। सारंडा की डाकुलता गुफा इस बात की पुष्टि करती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 06:19 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 06:19 PM (IST)
कभी डाकुओं की शरणस्थली था एशिया प्रसिद्ध सारंडा जंगल
सारंडा जंगल कभी डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता था।

चाईबासा, जासं।  लंबे समय तक लाल आतंक के खौफ में रहा सारंडा जंगल कभी डाकुओं के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता था। डाकू जंगल में बनी प्राकृतिक गुफाओं में शरणस्थली बनाकर रहते थे। सारंडा की डाकुलता गुफा इस बात की पुष्टि करती है।

loksabha election banner

सारंडा को इको टूरिज्म के लिए विकसित करने की दिशा में काम कर रही सारंडा वन प्रमंडल की टीम के अनुसार बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सारंडा पहले कभी डाकुओं का भी शरणस्थली हुआ करता था। इसके सबूत सारंडा में आज भी देखने को मिलते हैं। जानकारों की मानें तो सारंडा का डाकुलता गुफ़ा उसी का उदाहरण है। डाकुलता गुफ़ा मनोहरपुर पंचायत के चिरिया गांव से सात किलोमीटर की दूरी पर है। वृहद आकर के इस गुफा में अब भालू एवं चमगादड़ों का निवास स्थान है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर बनी गुफा में डाकू पुलिस से छिपने के लिए आते थे और कई दिनों तक गुफा में रहते थे । इस कारण इस गुफा का नाम डाकूलता गुफा है और लोग भी इस इलाके में नहीं आते थे ।

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग 

स्थानीय लोगों की मानें तो सारंडा में ऐसी कई जगह है जिसके बारे में लोगों को आज भी जानकारी नहीं अगर सरकार इन जगहों को चिन्हित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करें बड़ी तादाद में पर्यटक देखने आएंगे। इससे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि के द्वार खुलेगी और लोगों को रोजगार मिलेगा।

क्या कहते हैं सारंडा के डीएफओ

सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बताया कि सभी उप परिसर पदाधिकारियों के द्वारा उनके क्षेत्रों में पर्यटन की संभावित क्षेत्रों का विवरणों को संग्रहित किया जा रहा है एवं क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में विकसित करने के लिए सभी पहलुओं को देखा जा रहा है। उस क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण से छेड़छाड़ किए बिना पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। स्थानीय युवाओं को वन विभाग के द्वारा पर्यटन मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे युवाओं को रोजगार उपलब्ध होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.