खराब कोच पर अंत्योदय दौड़ी चक्रधरपुर तक, बड़ा हादसा टला
गुरदीप राज, जमशेदपुर : टाटानगर स्टेशन के ट्रेन मेंटेनेंस विभाग के अधिकारियों के लापरवाही क
गुरदीप राज, जमशेदपुर : टाटानगर स्टेशन के ट्रेन मेंटेनेंस विभाग के अधिकारियों के लापरवाही का आलम यह है सैकड़ों यात्रियों की जान आफत में डालने से भी पीछे नहीं हटते। जिस ट्रेन का मेंटेनेंस पांच से छह घंटा लगातार कर उसे 'ओके' करार दिया गया उसी ट्रेन में बैठे यात्रियों की जान गुरुवार की रात आफत में आ गई थी। ट्रेन संख्या 22886 टाटा लोकमान्य तिलक अंत्योदय एक्सप्रेस गुरुवार की रात 9.55 बजे टाटानगर स्टेशन से खुली और सीनी स्टेशन पहुंचते-पहुंचते कोच से नीचे से तेज आवाज आनी शुरू हो गई और कोच हिलने लगी। ऐसा लग रहा था कि कोच तुरंत ही पटरियों से उतरने वाला है। कोच के हिलने व तेज आवाज से घबराए कोच में बैठे यात्रियों ने चिखना-चिल्लाना शुरू कर दिया, लेकिन ट्रेन अपने रफ्तार से पटरियों पर दौड़ती रही। जब यात्रियों की शिकायत कोच अटेंडर तक पहुंची तब तक ट्रेन चक्रधरपुर पहुंच चुकी थी। वहां ट्रेन के रूकते ही यात्री खराब कोच से उतरने लगे।सूचना मिलने पर तुरंत चक्रधरपुर के रेल अधिकारी मौके पर पहुंचे और अंत्योदय एक्सप्रेस के खराब कोच को ट्रेन से काट कर अलग कर दिया और उसके स्थान पर दूसरा कोच लगाकर यात्रियों को समझा कर ट्रेन में बैठाया गया और कोच को आगे रवाना किया गया।
यह है मामला
रेल सूत्रों के अनुसार टाटा लोकमान्य तिलक अंत्योदय एक्सप्रेस टाटानगर से प्रत्येक सप्ताह गुरुवार व शनिवार को खुलती है। यह ट्रेन टाटानगर से मुंबई तक जाती है। फिर वापस मुंबई से टाटानगर लौटती है। टाटानगर आने के बाद इस ट्रेन को टाटानगर स्टेशन के वासिंग लाइन में ही मरम्मत किया जाता है। जो भी खराबी ट्रेन के कोच में होती है उसे दुरुस्त किया जाता है। ट्रेन के टाटानगर स्टेशन आने पर ट्रेन के सभी कोच की मरम्मत कर उसे दुरुस्त करने का दावा रेलवे के मेंटेनेंस विभाग के अधिकारियों ने किया और ट्रेन को मुंबई के लिए गुरुवार की रात रवाना कर दिया।
गुरुवार की रात 9.55 बजे जब ट्रेन टाटानगर स्टेशन से रवाना हुई तो ट्रेन के एक कोच से हल्की आवाज आनी शुरू हो गई थी। लेकिन किसी रेल अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और ट्रेन पटरियों पर दौड़ा दी गई। ट्रेन जब सीनी स्टेशन के आस पास पहुंची तो कोच से तेज आवाज आनी शुरू हो गई और कोच हिलने लगी। जिसे देखकर कोच में बैठे रेल यात्री घबरा गए और अपनी जान जोखिम में देख शोर मचाने लगे। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। ट्रेन अपनी रफ्तार में भाग रही थी। किसी तरह मामले की जानकारी ट्रेन के अंटेंडर तक पहुंची। तब तक ट्रेन चक्रधरपुर पहुंच चुकी थी। ट्रेन के चक्रधरपुर पहुंचने पर कोच में बैठे यात्रियों ने वहां हंगामा शुरू कर दिया और रेल अधिकारियों को घेर लिया। रेल अधिकारियों के समझाने के बाद यात्री शांत हुए और खराब कोच को ट्रेन से अलग किया गया और उसके स्थान पर दूसरा कोच लगाकर ट्रेन को आगे रवाना किया गया।