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Ambedkar Jayanti: रविदास समाज के मुखिया ने घर में ही स्थापित कर दी बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा, पड़ोसियों के साथ मनाई जयंती

Ambedkar Jayanti 2021 अमूमन किसी महापुरुष की मूर्ति या प्रतिमा सार्वजनिक स्थान पर स्थापित की जाती है लेकिन जमशेदपुर में एक व्यक्ति ने अपने घर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति स्थापित कर दी। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 05:12 PM (IST)
Ambedkar Jayanti: रविदास समाज के मुखिया ने घर में ही स्थापित कर दी बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा, पड़ोसियों के साथ मनाई जयंती
रविदास समाज के मुखिया जय गोविंद ने अपने घर पर पड़ोसियों के साथ डा. आंबेडकर की जयंती मनाई।

जमशेदपुर, जासं। अमूमन किसी महापुरुष की मूर्ति या प्रतिमा सार्वजनिक स्थान पर स्थापित की जाती है, लेकिन जमशेदपुर में एक व्यक्ति ने अपने घर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति स्थापित कर दी। जुगसलाई के एमई स्कूल रोड पर सेवानिवृत्त कर्मचारी व रविदास समाज के मुखिया जय गोविंद ने अपने घर पर पड़ोसियों के साथ डा. आंबेडकर की जयंती मनाई।

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इस अवसर पर जुगसलाई की प्रमुख समाजसेवी चंदन जयसवाल, स्वर्णरेखा परियोजना के प्रोजेक्ट सुपरिटेंडेंट शिवलाल राम, कौशल्या देवी, गणेश दास, आरसी प्रसाद, सुरेश प्रसाद, उमाशंकर, श्रीराम, सुनील रविदास, ललन कुमार आदि शामिल हुए। अपने संबोधन में शिवलाल राम ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण में बाबा साहेब की कोटि-कोटि और वंदनीय भूमिका रही है। उन्हीं की देन है कि आज संपूर्ण भारत एकता के सूत्र में पिरोया हुआ है। किसी भी दृष्टि से भारतीय संविधान का कोई सानी नहीं है। इसका कोई दुरुपयोग नहीं कर सकता है। बाबासाहेब ने सभी को एक नजरों से देखा और कहा कि भारतीय संविधान में सभी लोगों की एक समान भूमिका है। सभी के अधिकारों का ध्यान रखा गया है। संविधान में कोई छोटा या कोई बड़ा नहीं है, सभी महत्वपूर्ण हैं। गणेश दास ने कहा संविधान भारत की आत्मा है और आत्मा से ही शरीर प्राणरूप में चलता है।

जयगोविंद के पुत्र ललन कुमार ऑटो चलाते हैं

चंदन जयसवाल ने कहा कि आज बाबा साहेब आंबेडकर के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही एकता के प्रतिबिंब को भारतीय संविधान चिह्नित करता है। जहां तक एकरूपता और समानता की बात है, बाबासाहेब ने इसमें सभी प्रकार के मार्गदर्शन को तरजीह दी है। यहां यह बताना आवश्यक है कि जयगोविंद के पुत्र ललन कुमार ऑटो चलाते हैं। यह मूर्ति उन्होंने ही बनवाई है।


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