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सोनारी नहीं, बल्कि धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनने की संभावना ज्यादा, जानिए टाटा स्टील के सीईओ टीवी नरेंद्रन ने क्या कहा

Airport In Jamshedpur इससे पहले उद्यमियों के सवाल पर टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कारपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा कि एयरपोर्ट के लिए छह माह पहले भी डीजीसीए के साथ हमारी बैठक हुई थी। सोनारी में ना केवल रनवे छोटा है बल्कि आसपास की बिल्डिंग भी बाधक है।

By Madhukar KumarEdited By: Published: Tue, 07 Jun 2022 10:43 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2022 10:43 AM (IST)
सोनारी नहीं, बल्कि धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनने की संभावना ज्यादा, जानिए टाटा स्टील के सीईओ टीवी नरेंद्रन ने क्या कहा
Airport In Jamshedpur: सोनारी में उड़ने लायक छोटे विमानों की तलाश जारी है।

जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन सोमवार को सिंहभूम चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों से रूबरू हुए। बिष्टुपुर स्थित चैंबर भवन में नरेंद्रन ने कहा कि सोनारी में सार्वजनिक उड़ान की संभावना कम है, क्योंकि यहां छोटे विमान ही उड़ सकती हैं। देश की विमानन कंपनियों के पास छोटे एयरक्राफ्ट नहीं हैं। एयरक्राफ्ट कंपनियां भी तैयार नहीं हैं। यदि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट बन जाता है तो जमशेदपुर से ज्यादा दूर नहीं होगा। बाम्बे में भी एयरपोर्ट तक पहुंचने में डेढ़ घंटे लग जाते हैं। शहर के बीच में एयरपोर्ट हो, यह जरूरी नहीं है। जहां तक धालभूमगढ़ की बात है, तो उसे विकसित करने में टाटा स्टील सरकार व डीजीसीए को हर सहयोग करने को तैयार है।

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सोनारी में रनवे छोटा, बिल्डिंग भी बन रही बाधा

इससे पहले उद्यमियों के सवाल पर टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कारपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी ने कहा कि एयरपोर्ट के लिए छह माह पहले भी डीजीसीए के साथ हमारी बैठक हुई थी। सोनारी में ना केवल रनवे छोटा है, बल्कि आसपास की बिल्डिंग भी बाधक है। वैसे सोनारी में उड़ने लायक छोटे विमानों की तलाश जारी है। एक-दो कंपनी छोटे एयरक्राफ्ट खरीद रही हैं। इससे पहले नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील आज देश-विदेश में काफी विस्तार कर रही है, लेकिन जमशेदपुर से हमारा भावनात्मक लगाव है। इस शहर को सुंदर और शहरवासियों के लिए सुविधाजनक बनाने में हम सीएसआर का दो-तीन प्रतिशत नहीं देखते हैं। इससे कहीं ज्यादा 400-500 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं, क्योंकि यहां हमारे कर्मचारी रहते हैं। आखिर हमारे संस्थापक के नाम से यह शहर बसा है, जिस पर हमें गर्व है। यहां पीढ़ियों से लोग हमारी कंपनी में काम करते आ रहे हैं। टाटा स्टील जमशेदपुर के लिए हमेशा बेहतर सोचती-करती है। जमशेदपुर में हम करीब दो हजार एकड़ में प्लांट चलाते हैं और 15,000 एकड़ में फैले शहर की देखभाल करते हैं। कलिंगनगर में 6000 एकड़ में प्लांट और लगभग 300 एकड़ में टाउनशिप है। आप खुद देख लीजिए, कितना अंतर है।

टाटा स्टील मूल कंपनी से अलग कर रही विस्तार

टीवी नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील जमशेदपुर प्लांट से अलग अन्य कंपनियों का विस्तार कर रही है। अभी हम आइएसडब्ल्यूपी या तार कंपनी में एक रोलिंग मिल लगाने जा रहे हैं। गम्हरिया स्थित ऊषा मार्टिन में और टिनप्लेट में विस्तार कर रहे हैं। टिनप्लेट में करीब 1500 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रहे हैं। उद्यमियों के एक सवाल पर नरेंद्रन ने कहा कि हम नीदरलैंड-यूके से कोयला लाते हैं, इसलिए सिंगापुर में एक आफिस रखा है। कोलकाता में इसलिए आफिस है, ताकि वहां देश-विदेश के सप्लायर आसानी से आ जाते हैं।

लोकल वेंडर का पूरा रखते ख्याल

सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका की बात पर नरेंद्रन ने कहा कि हम लोकल वेंडर का पूरा ख्याल रखते हैं। खासकर कोरोना के समय महाराष्ट्र से माल आने में दिक्कत हो रही थी, तो लोकल वेंडरों ने हमारा साथ दिया। यह हम कैसे भूल सकते हैं। हम कभी भी लोकल वेंडर को छोड़ना नहीं चाहते हैं।

जमशेदपुर में टाटा का स्टील महंगा क्यों

एशिया के अध्यक्ष संतोष खेतान ने टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन से कहा कि जमशेदपुर में टाटा का स्टील हमें महंगा क्यों मिलता है। दिल्ली का सप्लायर हमें यहां जिस रेट में आपका स्टील उपलब्ध करा देता है, हमें यहां उस रेट पर नहीं मिलता। इस सवाल पर नरेंद्रन ने चाणक्य चौधरी से देखने को कहा, फिर नरेंद्रन ने कहा कि ऐसा होना नहीं चाहिए। थोड़ा-बहुत ही अंतर होगा। चैंबर के पूर्व अध्यक्ष अशोक भालोटिया ने भी स्थानीय उद्यमियों को रियायती दर पर स्टील उपलब्ध कराने का आग्रह किया।

मानगो व जुगसलाई में मिले टाटा का बिजली-पानी

चैंबर के पूर्व अध्यक्ष निर्मल काबरा ने कहा कि जिस तरह आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में टाटा स्टील बिजली दे रही है, उसी तरह मानगो और जुगसलाई में भी टाटा स्टील की बिजली-पानी मिले, इसका प्रयास करें। इस पर टाटा स्टील के वीपी चाणक्य चौधरी ने कहा कि इसमें लाइसेंस का इश्यू आता है। इसके अलावा हम अपनी क्षमता भी देखते हैं, क्योंकि जहां हम पहले से जिस चीज की आपूर्ति कर रहे हैं, उसकी गुणवत्ता खराब नहीं हो, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।

टीएमएच को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं बना सकते

चैंबर के उपाध्यक्ष मुकेश मित्तल के सवाल पर टीवी नरेंद्रन ने कहा कि हम टीएमएच को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं बना सकते हैं। आपने कहीं देखा है 1000 बेड का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल? यह जेनरल अस्पताल है, जहां कर्मचारियों समेत शहरवासियों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके। चाणक्य चौधरी ने कहा कि हम लगातार टीएमएच में हर साल एक नई सुविधा जोड़ रहे हैं। बहुत जल्द यहां डायबिटीक सेंटर बनाने जा रहे हैं। एक स्पेशलिस्ट ला रहे हैं, ताकि इसके मरीजों को बेहतर इलाज-परामर्श मिल सके।

इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम में स्वागत व अध्यक्षीय भाषण चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका, संचालन महासचिव मानव केडिया व धन्यवाद ज्ञापन किशोर गोलछा ने किया, जबकि इस मौके पर चैंबर के पूर्व अध्यक्ष आरके चौधरी उर्फ बीजू बाबू, गौतमचंद्र गोलछा, विजय मेहता, एके श्रीवास्तव, निर्मल काबरा, उमेश काउंटिया, अशोक भालोटिया व सुरेश सोंथालिया समेत विभिन्न व्यवसायी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।


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