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Air India, Tata : टाटा समूह को देर से हैंडओवर होगा एयर इंडिया, जाने इसके पीछे का कारण

Air India Tata हाल ही में टाटा समूह ने 18000 करोड़ की बोली लगाकर एयर इंडिया को अपने पाले में कर लिया था। अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में ही एयर इंडिया टाटा की हो पाएगी।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 08:15 AM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 09:32 AM (IST)
Air India, Tata : टाटा समूह को देर से हैंडओवर होगा एयर इंडिया, जाने इसके पीछे का कारण

जमशेदपुर : इस देश में टाटा समूह ही विमानन सेवा का संचालन करती थी लेकिन देश की आजादी के बाद केंद्र सरकार ने वर्ष 1948 में विमानन सेवा का राष्ट्रीयकरण कर दिया। जिसके कारण विमानन सेवा टाटा समूह के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो गई। लेकिन 73 वर्षो के बाद देश की 100 प्रतिशत विमानन सेवा एक बार फिर टाटा समूह के हाथ में आ गई है।

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केंद्र सरकार ने विमानन सेवा एयर इंडिया का 100 प्रतिशत विनिवेश कर दिया है जिसे टाटा समूह ने 1800 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। उम्मीद थी कि केंद्र सरकार जनवरी 2022 में एयर इंडिया को टाटा समूह के सुपुर्द कर देगी लेकिन अब इसमें देरी होने वाली है।

जनवरी माह के बाद पूरा होगा अधिग्रहण

एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि टाटा समूह ने घाटे में चल रहे नेशनल एयर सर्विस, एयर इंडिया के अधिग्रहण में जनवरी तक एक महीने की देरी होने की संभावना है क्योंकि प्रक्रियाओं के पूरा होने में अपेक्षाकृत अधिक समय लग रहा है। केंद्र सरकार ने अक्टूबर माह में एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 प्रतिशत इक्विटी शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में अपनी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए टाटा संस कंपनी द्वारा लगाई गई सबसे ऊंची बोली को स्वीकार कर लिया है। 20 वर्षों में पहला निजीकरण होगा।

अधिग्रहण के समय सरकार ने कहा था कि वह दिसंबर के अंत तक लेनदेन को पूरा कर लिया जाएगा। जिसमें टाटा को 2,700 करोड़ रुपये नकद का भुगतान करना शामिल है। हालांकि हैंडओवर की सभी औपचारिकताएं आठ सप्ताह के भीतर पूरी करनी होंगी लेकिन अब केंद्र सरकार व टाटा समूह पारस्परिक रूप से इसकी तारीख को बढ़ा रही है।

बाकी है कुछ नियमाकीय मंजूरी

टाटा समूह के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अधिग्रहण के बाद कुछ नियमाकीय मंजूरी होना बाकी है। इसके बाद बाकी की औपचारिकताएं पूरी होंगी। उम्मीद है कि प्रक्रिया जनवरी तक पूरी हो जाएगी लेकिन हम अभी तारीख तय नहीं कर सकते हैं।

आपको बता दें कि 25 अक्टूबर को, सरकार ने 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा संस के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। टाटा 2,700 करोड़ रुपये नकद चुकाएगी और शेष एयरलाइन के कर्ज के तौर पर 15,300 करोड़ रुपये का अधिग्रहण करेगी। जबकि एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हैंडओवर प्रक्रिया पूरी होने के बाद कैश कंपोनेंट आएगा।

टाटा ने स्पाइसजेट को दिया था पछाड़

केंद्र सरकार द्वारा एयर इंडिया के लिए आमंत्रित बोली के लिए 12,906 करोड़ रुपये का आरक्षित मूल्य तय किया था। ऐसे में टाटा ने स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम द्वारा 12,906 करोड़ रुपये की बोली को पछाड़ते हुए 15,100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।

31 अगस्त तक एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। घाटे में चल रही एयरलाइन को टाटा समूह को सौंपने से पहले इस कर्ज का 75 प्रतिशत यानि 46,262 करोड़ रुपये एक विशेष प्रयोजन वाहन एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जाएगा।

इन परिसंपत्तियों पर नहीं मिलेगा अधिकार

टाटा को एयर इंडिया की वसंत विहार हाउसिंग कॉलोनी, मुंबई स्थित नरीमन प्वाइंट में एयर इंडिया बिल्डिंग और नई दिल्ली में एयर इंडिया बिल्डिंग जैसी गैर-प्रमुख संपत्तियों पर अधिकार नहीं मिलेगा। टाटा को मिलने वाले 141 एयर इंडिया के विमानों में से 42 विमान लीज पर हैं जबकि शेष 99 केंद्र सरकार के स्वामित्व में हैं।

2003 के बाद पहली निजीकरण

आपको बता दें कि वर्ष 2003-04 के बाद यह पहला निजीकरण होगा, एयर इंडिया टाटा के स्थिर में तीसरा एयरलाइन ब्रांड होगा। इसका एयर एशिया इंडिया और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उद्यम विस्तारा में बहुमत है। टाटा के एयर इंडिया के अधिग्रहण से उसे 117 वाइड-बॉडी और नैरो-बॉडी एयरक्राफ्ट, और एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड के 24 नैरो-बॉडी एयरक्राफ्ट के अलावा 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग, और घरेलू हवाई अड्डों पर पार्किंग स्लॉट का अधिकार भी मिलेगा।

इस कारण होने लगा एयर इंडिया को घाटा

वर्ष 2007-08 में इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से एयर इंडिया को हर साल घाटा होने लगा। वर्ष 2012 में यूपीए सरकार द्वारा एयर इंडिया के लिए एक टर्नअराउंड योजना (टीएपी) और एक वित्तीय पुनर्गठन योजना (एफआरपी) को मंजूरी दी गई थी। हालांकि, टीएपी काम नहीं किया, और एयर इंडिया घाटे में चल रही थी, सरकार ने एयरलाइन को बचाए रखने के लिए प्रति दिन 20 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी।

पिछले एक दशक में केंद्र सरकार ने घाटे में चल रही एयरलाइन को बचाए रखने के लिए नकद सहायता और ऋण गारंटी के रूप में 1.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया।


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