IndiGo VS Tata : यदि टाटा को मिल गई एयर इंडिया तो इंडिगो से ऐसे होगी सीधी जंग
Indigo VS Tata एयर इंडिया खरीदने की रेस में टाटा समूह सबसे आगे नजर आ रहा है। लेकिन सौ टके का सवाल अगर टाटा की एयर इंडिया हो गई तो उसका सीधा मुकाबला इंडिगो से होगा। आइए जानते हैं टाटा समूह इंडिगो से टक्कर लेने को कितनी तैयार है...
जमशेदपुर, जासं। अब एयर इंडिया का निजीकरण होना तय हो गया है। यह भी लगभग तय हो गया है कि यह टाटा को ही मिलने जा रही है। ऐसे सवाल यह उठ रहा है कि यदि ऐसा हो गया तो क्या टाटा अपनी संयुक्त शक्ति से इंडिगो को पछाड़ देगी। फिलहाल, इंडिगो सबसे मजबूत स्थिति में है।
यह तो पता ही होगा कि घाटे में चल रही एयरलाइन के निजीकरण का सबसे गंभीर प्रयास मोदी सरकार के दो कार्यकालों के दौरान हुआ। निजीकरण का समर्थन करने वालों का दावा है कि एयर इंडिया को बनाए रखने के लिए आवश्यक धन का देश के कल्याण के लिए बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
जेआरडी ने ही शुरू की थी टाटा एयर इंडिया
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन स्वर्गीय जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी, जिसका 1953 में एयर इंडिया के रूप में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। जेआरडी 1977 तक एयरलाइन के अध्यक्ष रहे। जब 1990 के आसपास नागरिक उड्डयन को निजी भागीदारी के लिए खोला गया, तो टाटा समूह ने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ साझेदारी करने की कोशिश की, लेकिन भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के प्रतिबंधित होने के कारण विमानन क्षेत्र में प्रवेश करने की उसकी बोली खारिज हो गई।
इसके बाद यह नियम तब बदला गया, जब किंगफिशर डूबने लगा। तब मौजूदा सरकार ने एफडीआई की अनुमति दी, लेकिन किंगफिशर डूब गई। उसी समय टाटा समूह ने कम लागत वाले वाहक के लिए टोनी फर्नांडीस के नेतृत्व वाले एयरएशिया बीएचडी के साथ करार किया और सिंगापुर एयरलाइंस को अपने साथ जोड़ लिया।
टाटा समूह की एयर एशिया में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी
टाटा समूह की एयरएशिया इंडिया में 80 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। टाटा समूह की विस्तारा में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी सिंगापुर एयरलाइंस के पास है।
एयर इंडिया के फिर से मालिक होने के सपने से ज्यादा, यह वह पैमाना है जो समूह को आकर्षित कर रहा है। समूह का लक्ष्य भी यही बताया जा रहा है कि टाटा एक बार फिर उस दौर में लौटना चाहती है, जब भारत के एयरलाइंस पर टाटा का ही वर्चस्व था।
एयर एशिया व विस्तारा को क्यों हुआ घाटा
कोरोना महामारी के दौरान टाटा की एयर एशिया इंडिया और विस्तारा को काफी घाटा हुआ है। इसकी वजह है कि एयर एशिया के पास अभी तक विदेश में उड़ान भरने की अनुमति नहीं है। वहीं बड़े आकार की विस्तारा को कोरोना में उतने पैसेंजर नहीं मिल रहे हैं, जिससे वह पूरी क्षमता के साथ इसे उड़ा सके। इन दोनों वजहों से टाटा समूह की दोनों एयरलाइंस घाटे में है।
विस्तारा एयरलाइन की महत्वाकांक्षा महाद्वीपों और समुद्रों में उड़ान भरने की है, लेकिन लंदन के हीथ्रो, न्यूयॉर्क, शिकागो या हांगकांग जैसे भीड़भाड़ वाले हवाई अड्डों पर अधिकारों और स्लॉट की चुनौती होगी।
एयर इंडिया के पास सभी अधिकार
एयर इंडिया के पास ना केवल दुनिया के बड़े हवाई अड्डों पर स्लॉट हैं, बल्कि हर तरह के अधिकार हैं। यदि यह पर्याप्त नहीं है, तो विस्तारा के विपरीत एयर इंडिया के पास भी इन स्थानों पर बिना रुके उड़ान भरने के लिए विमान हैं। हालांकि वे नए ड्रीमलाइनर्स की तरह किफायती नहीं होंगे, लेकिन वे निश्चित रूप से एक स्टॉप-गैप व्यवस्था के लिए अच्छे हैं जब तक कि एक नया विमान शामिल नहीं किया जा सकता।
एयर एशिया इंडिया की बदल सकती किस्मत
टाटा समूह की एयर एशिया अभी विदेश के बड़े शहरों में उड़ान नहीं भर सकती, लेकिन टाटा के पास जब एयर इंडिया आ जाएगी, तो इसकी किस्मत बदल सकती है। संभावना है कि मार्च 2022 के बाद यह नए रूप में सामने आ जाए। एक तेज गति से एक नई एयरलाइन शुरू करने के लिए भारत में एक एयर ऑपरेटर परमिट (एओपी) का बहुत महत्व है, एयरएशिया इंडिया की विरासत संभावित खरीदारों को दूर रख सकती है।
टाटा के पास हो जाएंगे 224 विमान
एयर इंडिया मिलने के बाद टाटा के पास एयर इंडिया के 16 बी777 और 27 बी787 के साथ 76 ए320 परिवार के विमान होंगे। एयर इंडिया एक्सप्रेस में 24 बी737-800 हैं। यह 143 विमानों का बेड़ा होगा। विस्तारा के पास 48 विमान हैं, जबकि एयरएशिया इंडिया के पास 33 विमान हैं।
संयुक्त इकाई के पास 224 विमानों का बेड़ा होगा। वहीं इंडिगो के पास 260 से अधिक विमान हैं। टाटा समूह की संयुक्त ताकत घरेलू मोर्चे पर इंडिगो को आसानी से नहीं रोक सकेगी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लीडर जरूर बन जाएगी।