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साकची गोलचक्कर पर पत्थलगड़ी को लेकर उलझा प्रशासन Jamshedpur News

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर झामुमो नेताओं व कार्यकर्ताओं ने वह काम कर दिया है जो रघुवर सरकार के समय सोचा भी नहीं जा सकता था। हेमंत सरकार बनते ही झामुमो विधायक मंगल कालिंदी की अगुवाई में साकची गोलचक्कर का नामकरण बिरसा चौक कर दिया गया...

By Vikram GiriEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 09:36 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 01:47 PM (IST)
साकची गोलचक्कर पर पत्थलगड़ी को लेकर उलझा प्रशासन। जागरण

जमशेदपुर (जासं) । धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर झामुमो नेताओं व कार्यकर्ताओं ने वह काम कर दिया है, जो रघुवर सरकार के समय सोचा भी नहीं जा सकता था। हेमंत सरकार बनते ही झामुमो विधायक मंगल कालिंदी की अगुवाई में साकची गोलचक्कर का नामकरण बिरसा चौक कर दिया गया। यही नहीं, वहां एक बड़ा सा पत्थर हरे रंग में रंगकर लगा दिया गया है, जिस पर बिरसा चौक लिखा है। अब तक ऐसी हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई दी, क्योंकि यह इलाका टाटा लीज क्षेत्र में आता है। टाटा कंपनी अपने क्षेत्र में किसी की मूर्ति लगाने के खिलाफ रही है।

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अब तक साकची में पुराना कोर्ट के पास भीमराव आंबेडकर और थोड़ा हटकर राणा प्रताप की मूर्ति लगा दी गई है। टाटा स्टील ने इसे हटाने के लिए जिला प्रशासन से लिखित शिकायत भी कर रखी है। हालांकि प्रशासन इन मूर्तियों को हटाने में नाकामयाब रहा है, लेकिन साकची गोलचक्कर पर बिरसा चौक के नाम पर पत्थर गाड़ना बहुत ही हिम्मत का काम है। झामुमो नेताओं, खासकर विधायक की अगुवाई में हुए इस काम को प्रशासन देखकर भी अनजान बनना चाह रहा है। अभी तक जिला प्रशासन, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति या साकची थाना की कोई ओर से कार्रवाई की बात तो दूर नाम तक नहीं लिया जा रहा है। यह बताता कि प्रशासनिक अमले पर झामुमो नीत सरकार का कितना खौफ है। अब भविष्य में इस पर क्या कार्रवाई होती है, देखने वाली बात होगी।

झारखंड की पहचान हैं बिरसा : मंगल

जुगसलाई विधानसभा के झामुमो विधायक मंगल कालिंदी कहते हैं कि बिरसा मुंडा इस धरती के भगवान हैं। बिरसा ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़कर देश को आजाद कराने में योगदान दिया था। यदि उनकी मूर्ति यहां नहीं लगेगी तो किसकी लगेगी। मेरा मानना है कि देश के जितने भी क्रांतिकारी हैं, सभी की मूर्ति चौक-चौराहों पर लगनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होगा, तो आने वाली पीढ़ी को पता भी नहीं चलेगा कि बिरसा नाम का कोई महान व्यक्ति इस धरती पर था। बिरसा चौक पर किसे आपत्ति हो सकती है।

अब तक झारखंड के सभी मुख्यमंत्री-राज्यपाल उनकी जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करते आए हैं। साकची गोलचक्कर क्या झारखंड में नहीं है। क्या यह क्षेत्र झारखंड सरकार के अधीन नहीं आता है। हमने ना किसी की हत्या की है, ना किसी की जमीन का अतिक्रमण किया है। हमने तो बस अपने बिरसा भगवान का ऋण चुकाया है।


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