आदित्यपुरनामा : डॉ. ओपी आनंद ने नदी में रहकर कर लिया मगरमच्छ से बैर, अब भुगत रहे खामियाजा
अगर नदी में किसी जीव-जंतु को जीवित रहना है तो उसे मगरमच्छ से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए। सेव लाइफ नर्सिंग होम के डॉ. ओपी आनंद ने कभी सपने भी नहीं सोचा होगा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को धमकी देने का हश्र इस तरह होगा।
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर। अगर नदी में किसी जीव-जंतु को जीवित रहना है तो उसे मगरमच्छ से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए। सेव लाइफ नर्सिंग होम के डॉ. ओपी आनंद ने कभी सपने भी नहीं सोचा होगा कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को धमकी देने का हश्र इस तरह होगा। एक सप्ताह पहले तक फोन पर सबको गरियाने वाले डॉक्टर साहब अब सलाखों के पीछे हैं और नेताजी के चमचे-बेलचे सीना तान घूम रहे हैं और सबको बोल भी रहे हैं, पंगा लिया तो नंगा होगा ही। जाहिर है, नेताजी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए। अब कोई चिल्ल पों करेगा भी नहीं। किया तो डॉक्टर साहब वाला हाल होगा। आदित्यपुर में डॉक्टर साहब के हजार दुश्मन हैं। उनका हश्र देख सभी को दिल की ठंडक मिल रही है। उधर, सुख में साथ निभाने वाले अपने भी नेताजी की त्यौरी देख ओपी आनंद से दूरी बनाने में ही भलाई समझ रहे हैं।
आइएमए को घड़ियाली आंसू भी बहाना नहीं आता
अगर पब्लिक किसी डॉक्टर साहब की पिटाई कर देता तो अभी तक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आसमान सिर पर उठा लेता। पूरे राज्य में आंदोलन की धमकी देेता। लेकिन मामला जब हाई प्रोफाइल हो तो इनकी भूमिका बदल जाती है। डॉ. ओपी आनंद ने स्वास्थ्य मंत्री को जब सरेआम धमकी दी तो डॉक्टरों के वाट्सएप ग्रुप में यह चल रहा था, ठीक किया ओपी आनंद ने। सही बोला। ऐसा ही करना चाहिए। लेकिन जैसे ही डॉ. आनंद पर शिकंजा कसना शुरू हो गया, सभी की खुशी काफूर हो गई। क्रिकेट का क्लाइमेक्स की तरह घटनाओं पर नजरें टिकी थी। ...आगे क्या होगा। पर डर भी था। कोई ठीक नहीं, नेताजी का गुस्सा कहीं फूट पड़ा तो अपनी दुकानदारी का क्या होगा। आइएमए ने भी एक बयान जारी कर अपना पिंड छुड़ाया, डॉक्टर पर कार्रवाई हो पर जेल ना भेजा जाए। ऐसी बिरादरी का क्या फायदा, जो वक्त पर काम न आए।
क्या-क्या बर्दाश्त नहीं करेंगे नेताजी
सेव लाइफ अस्पताल के डॉ. ओपी आनंद पर कार्रवाई क्या हुई, कांग्रेस में हड़कंप मच गया। चूंकि मामला मंत्री जी का है तो कोई कुछ बोल भी नहीं पा रहा है। पेट मरोड़ रहा है, लेकिन दर्द छिपाए घूम रहे हैं। करे तो आखिर क्या करें, नेताजी नाराज हो गए तो पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। आदित्यपुर में रही-सही जो साख है, वह भी चली जाएगी। लेकिन कांग्रेसियों ने महागठबंधन के साथियों को ताव दे दिया। बस क्या था राजद नेता अर्जुन डॉक्टर साहब के पक्ष में आ गए। बोले, हम सब परिवार के साथ खड़े हैं। लेकिन क्या फायदा ऐसे खड़े रहने से, जो डॉक्टर साहब को सलाखों के पीछे डाल दिया गया और आप देखते रह गए। पार्षद सिद्धनाथ सिंह का दर्द उभर आया। अस्पताल बंद कराने की साजिश चल रही है, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नेताजी क्या-क्या बर्दाश्त नहीं करेंगे। देखिए, आगे-आगे होता है क्या।
भाजपाईयों की दादागिरी, माथा पीट रहा झामुमो
आदित्यपुर में आजकल हर भाजपाई स्वघोषित फ्रंटलाइन वर्कर बने फिर रहे हैं। तभी तो जिस वैक्सीन सेंटर पर जिसकी धमक है, वही टीका लगा ले रहा है। झामुमो वालों को यह नागवार गुजरी। सरकार उनकी और दादागीरी कोई और करे। ऐसा कैसे हो सकता है। छाती पीटते हुए सीएम साहब को ट्वीट कर दी, बोले-जब 18 साल से ऊपर वालों को 14 मई से टीका देना शुरू किया गया है तो भाजपा वाला कैसे टीका ले रहे हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं को केंद्रों से भगा दिया जा रहा है। यह दोहरी नीति क्यों। कहने का मतलब है, अगर भाजपा वाला चोरी करे तो मेरा भी हक है चोरी करने का। सही बात है, दोहरी नीति क्यो। राज्य में झामुमो की सरकार है तो प्रशासनिक अधिकारियों के कान खड़े हो गए। नोडल अधिकारी जुझार मांझी हरकत में आए और सरकारी बाबू की तरह आश्वासन भी दे दिया गया कि जांच करेंगे।