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कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे सफाईकर्मी की मौत, कोरोना जांच से पहले कर दिया अंतिम संस्कार Jamshedpur News

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सफाई कर्मी मनोज मुखी की मौत बुधवार की सुबह नेशनल हाईवे स्थित उमा हॉस्पिटल में हो गई।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Wed, 15 Jul 2020 02:54 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2020 02:54 PM (IST)
कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे सफाईकर्मी की मौत, कोरोना जांच से पहले कर दिया अंतिम संस्कार Jamshedpur News
कोविड अस्पताल में ड्यूटी कर रहे सफाईकर्मी की मौत, कोरोना जांच से पहले कर दिया अंतिम संस्कार Jamshedpur News

जमशेदपुर (जासं) । महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सफाई कर्मी मनोज मुखी की मौत बुधवार की सुबह नेशनल हाईवे स्थित उमा हॉस्पिटल में हो गई। मंगलवार की शाम उसके पेट में तेज दर्द व खून की उल्टी होने पर एमजीएम अस्पताल लाया गया लेकिन उसकी गंभीर स्थिति को  देखते हुए चिकित्सकों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। इसके बाद उसे टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) ले जाया गया लेकिन वहां बेड खाली नहीं होने की बात कहते हुए लौटा दिया गया। इसके बाद  पीड़ित के स्वजन तामुलिया स्थित ब्राह्मनंद अस्पताल में संपर्क किया लेकिन वहां भी बेड खाली नहीं होने की बात कही गई। इसे देखते हुए पीड़ित को उमा हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां पर बुधवार की सुबह करीब 6 बजे मौत हो गई। इसके बाद कोरोना  की जांच नहीं कराया गया और भुइयांडीह स्थित स्वर्णरेखा बर्निंग घाट पर उनका दाह संस्कार कर दिया गया। इसके बाद तमाम सवाल खड़े होने लगे हैं।

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कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया है। मरीजों की सेवा में हम दिन रात जुटे रहते हैं। उनकी साफ-सफाई का काम हम लोग करते हैं जो हर किसी की बस की बात नहीं है, लेकिन मौत होने के बाद एजेंसी द्वारा कोरोना जांच भी नहीं कराया गया, जो दुखद है। बेड के अभाव में इलाज भी नहीं मिला और मरीज की मौत हो गई। इस दुख की घड़ी में उनके साथ ना तो एजेंसी के पदाधिकारी खड़े हुए और न ही अस्पताल प्रबंधन।

सफाई कर्मचारियों का कहना है कि वे दिन रात कोरोना मरीजों के बीच में रहकर उनका साफ सफाई करने का काम करते थे ऐसे में उनका कोरोना जांच कराना जरूरी था। अभी एक सामान्य व्यक्ति की भी मौत हो रही है तो उसका कोरोना जांच कराया जा रहा है लेकिन मनोज मुखी का नहीं कराया गया जो चिंता का विषय और दुखद है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि शुरू से ही उनके साथ भेदभाव किया गया जबकि वह अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा करते रहे हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। मृतक एमजीएम अस्पताल में 20 साल से कार्यरत है और स्थाई करने की मांग कर रहे थे। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री से भी वह मिले थे। मंत्री की ओर से कुछ अच्छा करने का आश्वासन मिला था लेकिन इसी दौरान उनका निधन हो गया।मृतक का घर भुइयांडीह स्थित चंडीनगर है।


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