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World Day against Child Labour 2021 : मजदूरों के शहर में 'मजबूर बचपन'

World Day against Child Labour 2021 पूर्वी सिंहभूम जिला में 9300 से अधिक बच्चों का बचपन मजबूर है। होटलों छोटे-मोटे कारखानों दुकानों में मासूम की ख्वाहिशें झुलस रही है। ये बाल मजदूर पश्चिम बंगाल व ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों तथा बिहार से भी आते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 11:38 AM (IST)
World Day against Child Labour 2021 : मजदूरों के शहर में 'मजबूर बचपन'
बाल श्रम के कोई ठोस आंकड़े प्रशासन के पास नहीं है।

जमशेदपुर, जासं। यह शहर मजदूरों का है। बाल श्रम के कोई ठोस आंकड़े प्रशासन के पास नहीं है। बाल श्रम पर काम करने वाली संस्था बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान वर्ष 2016 में सर्वे कराया था। उसके अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिला में 9300 से अधिक बच्चों का बचपन मजबूर है। होटलों, छोटे-मोटे कारखानों, दुकानों में मासूम की ख्वाहिशें झुलस रही है।

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ये बाल मजदूर पश्चिम बंगाल व ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों तथा बिहार से भी आते हैं। आधे से अधिक सीमावर्ती क्षेत्रों से होते हैं। जब बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान अभियान चलाते हैं तो इन मजदूरों को विभिन्न दुकानों, होटलों एवं कारखानों के संचालक उन्हें उनके गांव भेज देते हैं। विभाग बीच-बीच में इस फोड़े का इलाज करने के लिए ऑपरेशन चलाता है। ऑपरेशन मुस्कान। इस ऑपरेशन से बाल श्रमिकों का कल तो बदलता नहीं, उल्टे आज भी खराब हो जाता है। इन्हें रिमांड होम भेजा जाता है। जहां अपराधिक प्रवृति के लिए बंद किशोर या तो इन्हें भी अपराध की एबीसीडी सिखा देते हैं या फिर उनके सूत्र में फिट न बैठने पर उन्हें यातनाएं देते हैं।

पुर्नवास की व्यवस्था करनी होगी

बाल मजदूरों की मदद को काम करने वाली जमशेदपुर की संस्था बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सर्वेक्षण के मुताबिक 2016 में पूर्वी सिंहभूम में 9367 बाल मजदूर हैं, जो विभिन्न संस्थानों में बतौर मजदूर काम करते हैं। संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर कहते हैं कि प्रशासनिक अमला गंभीर होता तो यह संख्या इतनी बड़ी नहीं होती। इतने बच्चों का बचपन छीना नहीं जाता। कई बार ऐसे बच्चों के लिए पढ़ाई का इंतजाम करने वाले सदन ठाकुर सुझाव देते हैं कि इन बच्चों का भविष्य इन्हें सिर्फ होटलों से मुक्त कराकर रिमांड होम में डाल देने से नहीं बदलेगा, बल्कि इन्हें पुनर्वास की व्यवस्था देनी होगी।

आठ मुकदमें व हजारों बच्चों को स्कूल पहुंचा चुके हैं सदन ठाकुर

बाल श्रम को काम करने वाली शहर की संस्था बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान अब तक बाल श्रम कराने वाले विभिन्न संस्था एवं लोगों के खिलाफ संस्थान के संयोजक सदन ठाकुर आठ मुकदमें दर्ज करा चुके हैं। साथ ही हजारों बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिला चुके हैं। बाल श्रम के पुर्नवास के लिए वे टाटा स्टील से भी सहयोग मांग चुके हैं,पर इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। कोरोना काल में भी बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाई। यहां तक की हाल ही मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट में बच्चों की स्थिति पर जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। मजदूरी को मिलती 20 रुपये हाजिरी, तीन वक्त का खाना बाल मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय है। स्टेशन के एक होटल संचालक ने आम बातचीत में बताया कि पुरुलिया समेत चाईबासा, मनोहरपुर से बच्चे भाग कर टाटानगर स्टेशन पहुंचते हैं। यहां उन्हें सिर छुपाने की जगह व तीन वक्त खाना मिल जाए तो वही काफी होता है। इसके अलावा उन्हें मात्र बीस से तीस रुपये प्रतिदिन देने होते हैं, जो न्यूनतम मजदूरी से भी बेहद कम है।

  • कहां कितने बाल मजदूर

  • स्थान - बाल मजदूर

  • साकची 765
  • बिष्टुपुर 443
  • जुगसलाई 302
  • बागबेड़ा 578
  • परसुडीह 339
  • सुुंदरनगर 215
  • पोटका 499
  • टेल्को 577
  • गोविंदपुर 333
  • बहरागोड़ा 840
  • घाटशिला 505
  • सोनारी 308
  • कदमा 245
  • सीतारामडेरा 995
  • सिदगोड़ा 109
  • बिरसानगर 807
  • मानगो 777
  • उलीडीह 215
  • अाजादनगर 307
  • एमजीएम 218
  • कुल 9367

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