Maharana Pratap Death anniversary : लौहनगरी में पुण्यतिथि पर याद किए गए महाराणा प्रताप
Maharana Pratap Death anniversary. लौहनगरी जमशेदपुर में महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई जिसमें जगह-जगह उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहर में महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा साकची में मेरीन ड्राइव मोड़ और काशीडीह स्थित दुर्गा पूजा मैदान के पास है।
जमशेदपुर, जासं। लौहनगरी जमशेदपुर में महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई, जिसमें जगह-जगह उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहर में महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा साकची में मेरीन ड्राइव मोड़ और काशीडीह स्थित दुर्गा पूजा मैदान के पास है।
काशीडीह में भाजपा नेता अभय सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर अभय ने कहा कि भारत के शौर्य के प्रतीक महाराणा प्रताप भारत की एकता अखंडता और संप्रभुता के लिए कभी भी अकबर के सामने नहीं झुके। उन्होंने कभी भी अधीनता स्वीकार नहीं की। भारत के कई राजाओं ने अकबर की गुलामी करना मुनासिब समझा, पर महाराणा प्रताप जंगलों में भटकते रह गए, कंदमूल फल खाए, कई त्रासदी झेली लेकिन वे कभी भी किसी कीमत पर दुश्मनों के आगे नहीं झुके। यही वजह रही कि वियतनाम के प्रधानमंत्री भी जब भारत आए तो सबसे पहले महाराणा प्रताप के स्मारक पर गए और उन्हें नमन किया। ऐसे योद्धा के कारण ही आज भारत की पवित्रता टिकी हुई है।
कहानी से बहुत कुछ सीखा
उन्होंने कहा कि भारत माता को संपूर्ण न्योछावर करने वाले महाराणा प्रताप की कहानी से हमने बहुत कुछ सीखा है। अगर आज भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप की जीवनी को पाठ्य पुस्तक के रूप में अगर पढ़ाया जाए तो निश्चित रूप से हर घर के आंगन में भारत माता की पवित्रता के लिए महाराणा प्रताप का जन्म होगा। महाराणा प्रताप भले ही मेवाड़ में जन्मे, परंतु पूरा देश उनको नमन करता है। उन्होंने भगवा झंडा को कभी झुकने नहीं दिया। मरते दम तक वे दुश्मनों के आगे नहीं झुके। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ऐसी महान आत्मा का पुनर्जन्म हो।