Ghatshila Fire Case : वन विभाग के डिपो में आग लगने की जांच करेंगे मजिस्ट्रेट, जांच के घेरे में विभागीय अधिकारी
Ghatshila Fire Case.वन विभाग के डिपो में लगी आग को बुझाने के लिए शनिवार को भी दमकल की तीन तीन गाडि़यां लगी रही। आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। प्रशासन ने घटना की जांच के लिए मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर दी है।
धालभूमगढ़ (पूर्वी सिंहभूम), जासं। वन विभाग के डिपो में लगी आग को बुझाने के लिए शनिवार को भी दमकल की तीन तीन गाडि़यां लगी रही। आग पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है। डिपो में कितनी लकड़ी थी, कितने की नीलामी हुई और कितनी आग में जलकर राख हुई इसका विवरण विभागीय अधिकारी नहीं दे रहे हैं। इससे यह अग्निकांड संदेह के घेरे में है। आशंका है कि भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए यह करतूत की गई ।
रेंजर संजय सिंह मौके पर शनिवार को भी मौजूद रहे। इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि भी पहुंचकर पूरा विवरण संग्रह कर रहे हैं। बार-बार पूछे जाने के बाद रेंजर ने बताया कि मंगलवार के पहले वह कुछ नहीं बता पाएंगे। अगर सभी लॉट एवं नीलामी हुए लॉट का रिकॉर्ड है तो यह बताने में उन्हें क्यों मुश्किल हो रही है कि कितने लॉट जले और कितनी कीमती लकड़ियां आग के हवाले हुई।
ये बनाए गए हैं मजिस्ट्रेट
प्रशासन की ओर से अंचल निरीक्षक सुशांत कुमार जेना, कर्मचारी विजय कुमार वर्मा, दिनेश कुमार दास, जनसेवक विशाल राय, पंचायत सेवक रामदास सोरेन एवं कनीय अभियंता प्रेम कुमार गिरी तथा धनंजय मंडल को यहां मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है।
आग लगने की बाबत अलग-अलग जानकारी
डिपो प्रभारी सत्यवान महतो के अलावा रात्रि प्रहरी शंकर नामाता एवं रघुनाथ महतो तथा दिन में ड्यूटी कर रहे रविंद्र नारायण देव मौके पर उपस्थित थे। लेकिन सभी आग लगने की बाबत अलग-अलग जानकारी दे रहे हैं। किसी का कहना है कि छात्रावास की ओर से आग लगी। कोई फुटबॉल मैदान की ओर से आग लगने की बात बता रहा। डिपो की घेराबंदी से सटकर धड़ल्ले से शराब की बिक्री होती है तथा वहां दिनभर शराबियों का जमावड़ा रहता है। लेकिन आग लगने के कारणों का अभी तक कुछ पता नहीं चला है ।