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महत्वपर्ण : 22 वर्षो से परीक्षा नहीं दे पा रहा मैथिली विभाग का छात्र

अजीब हाल है। मोटी तनख्वाह लेने वाले पहले रांची विश्वविद्यालय और अब कोल्हान विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग के प्रोफेसर अगर सिलेबस ही नहीं तैयार कर पा रहे हैं तो कैसे मैथिली विभाग चल रहा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 11:06 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 06:14 AM (IST)
महत्वपर्ण : 22 वर्षो से परीक्षा नहीं दे पा रहा मैथिली विभाग का छात्र
महत्वपर्ण : 22 वर्षो से परीक्षा नहीं दे पा रहा मैथिली विभाग का छात्र

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अजीब हाल है। मोटी तनख्वाह लेने वाले पहले रांची विश्वविद्यालय और अब कोल्हान विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग के प्रोफेसर अगर सिलेबस ही नहीं तैयार कर पा रहे हैं तो कैसे मैथिली विभाग चल रहा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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एक छात्र ने बड़ा ही मार्मिक पत्र राज्यपाल को लिखा है। बारीडीह विजया गार्डेन के रहने वाले छात्र प्रमोद कुमार मिश्रा ने झारखंड के राज्यपाल को लिखे इस पत्र में बताया है कि वे एबीएम कॉलेज गोलमुरी के स्नातक मैथिली ऑनर्स के सत्र 1992-95 के छात्र है। प्रथम वर्ष का मैथिली प्रश्न पत्र उपलब्ध होने के कारण वे प्रथम वर्ष में परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो पाए। उसके बाद से न तो पार्ट टू और न पार्ट थर्ड का सिलेबस तैयार नहीं हो पाया और न ही प्रश्न पत्र तैयार हो पाया। इस कारण वे इनकी परीक्षा नहीं दे पाये। बार-बार अनुरोध के बावजूद न तो सिलेबस बना और न ही प्रश्न पत्र । कई विभागों एवं कुलपतियों को इस संबंध में पत्र प्रेषित किया जा चुका है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। इस कारण वे 22 साल से परीक्षा की आस लिए बैठे हुए है। न तो वे स्नातक कर पाए हैं और न ही एमए। मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल किया गया है, लेकिन इसका फायदा इस छात्र को अब तक नहीं मिला है। -----------------

कॉलेज में तीन स्थायी शिक्षक एबीएम कॉलेज में उस समय कॉलेज में दो शिक्षक पदस्थापित थे। उसमें से एक शिक्षक एसएन मेहता सेवानिवृत्त होकर पेंशन का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। वहीं डॉ. अशोक कुमार झा 25 वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहें है। एसएन मेहता के सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ. रवींद्र चौधरी आज एबीएम में सेवा दे रहे हैं। ---------------

औसत अंक देकर उत्तीर्ण करने की मांग प्रमोद ने राज्यपाल से मांग की है कि मैथिली विषय की परीक्षा विश्वविद्यालय द्वारा नहीं आयोजित किए जाने के फलस्वरूप पार्ट वन की परीक्षा के अंकों के आधार पार्ट टू एवं थर्ड के लिए औसत अंक प्रदान कर उत्तीर्ण घेाषित करने की मांग की है। साथ ही इस मामले में दोषी पदाधिकारियों को चिन्हित करते हुए कार्रवाई की भी मांग की गई है।


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