Weekly News Roundup Jamshedpur : मेडिकल और फायर कर्मियों को चाहिए इंक्रीमेंट, पढ़िए कॉरपोरेट जगत की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. मेडिकल स्टॉफ जहां कोरोना मरीजों की जांच में तत्पर हैं वहीं दमकल कर्मचारी अब शहर को सैनिटाइज करने में जुटे हुए हैं।
जमशेदपुर,निर्मल प्रसाद। Weekly News Roundup Jamshedpur टाटा स्टील ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अधिकारियों को घर से काम करने की सलाह दी है। जो घर से काम नहीं कर सकते उन्हें स्पेशल छुट्टी दे दी गई है। वहीं, ड्यूटी पर आनेवालों को अल्टरनेट डे काम पर बुलाया जा रहा है।
लेकिन, टीएमएच के मेडिकल स्टॉफ और दमकल कर्मचारी पूर्व की तरह ड्यूटी पर तैनात हैं। इनके लिए कोई स्पेशल छुट्टी है न अल्टरनेट डे ड्यूटी की व्यवस्था। मेडिकल स्टॉफ जहां कोरोना मरीजों की जांच में तत्पर हैं वहीं दमकल कर्मचारी अब शहर को सैनिटाइज करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में अब यह मांग उठने लगी है कि इन दोनों विभागों के कर्मचारियों को ऐसी क्या सुविधा मिले, जिससे कोरोना में की गई उनकी सेवा की भरपाई हो सके। टाटा स्टील प्रबंधन और टाटा वर्कर्स यूनियन को इस दिशा में सोचने की जरूरत है। लेकिन अब कर्मचारी ही स्वयं अपनी मांग उठा रहे हैं।
कोरोना के बीच ग्रेड का रोना
कोरोना वायरस ने अर्थव्यवस्था के पहियों पर ब्रेक लगा दिया है। सबकुछ ठप है। टिमकेन और जुस्को में कर्मचारियों का ग्रेड रिवीजन अब तक नहीं हो पाया है। कोरोना ने कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी पर भी रोक लगा दी है। जुस्को में लगभग 700 और टिमकेन में 125 कर्मचारी अब कोरोना को कोस रहे हैं। कोसे भी क्यों नहीं, टिमकेन में प्रबंधन अपने समर्थित यूनियन से ग्रेड कराना चाहती थी। इसलिए हाईकोर्ट के स्टे का बहाना बनाया। दस माह तक किसी तरह की वार्ता ही नहीं की। उपश्रमायुक्त ने जब टाइट किया तो कोरोना का ब्रेक लग गया। जुस्को में मान्यता प्राप्त यूनियन ने ग्रेड से ज्यादा चुनाव को तवज्जो दी। यहां कर्मचारियों का वेतन समझौता जनवरी 2018 से लंबित है। उन्हें मालूम है कि कई भत्तों का एरियर भी नहीं मिलने वाला है। जब हस्ताक्षर होगा तभी से लाभ मिलेगा। इसलिए, कोरोना को कोस कर भड़ास निकाल रहे हैं।
वेतन दिलाने में राजनीति क्यों
कोविड-19 पर टाटा समूह के चेयरमैन की घोषणा ठेका कर्मचारियों के लिए सुखद रही कि मार्च व अप्रैल में लॉकडाउन से प्रभावित सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देंगे। लेकिन, टाटा मोटर्स में इसे लेकर जमकर राजनीति हुई। पहले टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन नेताओं ने दावा किया कि बाइ-सिक्स कर्मचारियों को भी वेतन दिलाएंगे। इस मामले में टेल्को वर्कर्स यूनियन के बर्खास्त महामंत्री प्रकाश और हर्षवर्धन भी कूद पड़े। चेयरमैन की घोषणा का हवाला दिया, और दे भी क्यों न, इसी बहाने हीरो बनने का मौका जो मिला। सो जितना हो सका, बयान जारी करते रहे। अखबारों में छाए रहे। इसी बीच टाटा मोटर्स यूनियन ने भी प्रबंधन से बाइ-सिक्स कर्मचारियों को वेतन देने की घोषणा करा कर अपनी पीठ थपथपा लिया। प्रश्न उठता है कि जिस आदेश को खुद टाटा समूह के चेयरमैन ने दिया, उस पर राजनीति कैसी। खैर, भला हुआ 5000 कर्मचारियों का। दो माह का वेतन मिलेगा।
आग लगी तभी तो धुआं उठा
कोविड-19 के कारण टाटा स्टील ने अब उत्पादन कम कर दिया है। ठेका कर्मचारियों से तीन के बजाए दो शिफ्ट में काम लिया जा रहा है। वहीं सरकार के निर्देशानुसार न्यूनतम स्थाई कर्मियों से काम लिया जा रहा है। ए टू एफ ब्लास्ट फर्नेस सहित कई विभागों में मैनपावर कम होने से क्लिनिंग का काम जो पहले ठेका कर्मचारी किया करते थे, अब कौन करेगा? यह सवाल उठने लगा तो कुछ अधिकारियों ने प्रस्ताव दिया कि स्थायी कर्मचारियों से उक्त काम करा लिया जाए। लेकिन, इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध हुआ। शिकायत कंपनी के वरीय अधिकारियों से लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन के नेताओं तक पहुंची। हालांकि, कंपनी प्रबंधन कोरोना के बीच ऐसी किसी घटना को अफवाह बता रही है। लेकिन, कहीं आग लगी है तभी तो धुंआ उठ रहा है। विरोध होते देखकर प्रबंधन प्रस्ताव से थोड़ी देर के लिए पीछे हटा है। कर्मचारी राहत की सांस ले रहे हैं।