साल पत्ता से बनाया मास्क, जाहेरथान में की पूजा
कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने लोगों को अनूठे प्रयास करने एवं कुछ नया करने पर मजबूर कर दिया है।
पंकज मिश्रा, चाकुलिया : कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने लोगों को अनूठे प्रयास करने एवं कुछ नया करने पर मजबूर कर दिया है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत मुटुरखाम वन समिति की महिलाओं ने। ऐसे समय में जबकि मास्क एवं सैनिटाइजर की भारी किल्लत चल रही है। शहर के लोगों को मास्क आसानी से नहीं मिल रहा है, भला सुदूर गांव के लोगों को यह कहां से उपलब्ध हो पाएगा। लिहाजा पद्मश्री से सम्मानित जमुना टुडू की अगुवाई में सोमवार को ग्रामीण महिलाओं ने कोरोना से बचाव के लिए साल के पत्तों से मास्क बनाया तथा गांव के सभी लोगों को इसे पहनने के लिए प्रेरित किया। मास्क पहनने के बाद गांव के पूजा स्थल यानी जाहेर थान में आदिवासी परंपरा के मुताबिक पूजा अर्चना की गई। इसमें पूरे देश के लिए शांति एवं सुरक्षा की कामना की गई। मौके पर जमुना टुडू ने बताया कि वन समिति की महिलाओं ने साल पत्ता से बने मास्क पहनकर यह संदेश दिया है कि खुद सुरक्षित रहें तथा दूसरों को भी सुरक्षित रखें। उन्होंने लोगों को घर पर ही रहने की सलाह भी दी।
कितना सुरक्षित है साल पत्ते से बना मास्क
वन समिति की महिलाओं ने साल पत्ते से मास्क बनाकर पहन तो लिया पर यह सवाल जरूर उठता है कि आखिर वैज्ञानिक दृष्टि से यह मास्क कितना सुरक्षित है? इस संबंध में पूछने पर चाकुलिया सीएचसी के सेवानिवृत्त चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेश चंद्र महतो ने बताया कि साल पत्ते से बना मास्क कपड़े के मास्क से बेहतर है। क्योंकि कपड़े से बने मास्क में महीन छिद्र होते हैं जो कि पत्ते में नहीं होते। यह वायरस से काफी हद तक सुरक्षा देता है। लेकिन इसे नियमित रूप से बदला जाना चाहिए।
तीन हजार परिवारों को खाद्य सामग्री मुहैया करेगी यूसिल
यूसिल प्रबंधन, जादूगोड़ा ने 3000 परिवारों को चावल, आटा, दाल, तेल, आलू, प्याज, साबुन आदि आवश्यक सामग्री मुहैया कराने का निर्णय लिया है। कंपनी के वरीय अधिकारी एसके शर्मा के मुताबिक, मंगलवार की शाम पांच बजे से सामुदायिक केंद्र, जादूगोड़ा में इसका वितरण किया जाएगा। उपायुक्त के मार्गदर्शन यूसिल की ओर से इस सेवा कार्य के साथ प्रधानमंत्री राहत कोष में भी कंपनी ने 30 लाख रुपये प्रदान किए हैं। इसके अलावा यूसिल अस्पताल के ओपीडी को बंदकर आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया गया है।