जैविक खाद से पटमदा में लहलहा रही फूलों की फसल
जमशेदपुर के साथ-साथ बंगाल के पुरुलिया व बड़ाबाजार तक गेंदा फूल की आपूर्ति करने वाले किसान युधिष्ठिर महतो की आज अलग पहचान है। पूर्वी सिंहभूम के पटमदा प्रखंड के कुमीर गांव निवासी युधिष्ठिर कभी धान व सब्जी उगा कर किसी तरह अपना जीवन यापन करते थे।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर के साथ-साथ बंगाल के पुरुलिया व बड़ाबाजार तक गेंदा फूल की आपूर्ति करने वाले किसान युधिष्ठिर महतो की आज अलग पहचान है। पूर्वी सिंहभूम के पटमदा प्रखंड के कुमीर गांव निवासी युधिष्ठिर कभी धान व सब्जी उगा कर किसी तरह अपना जीवन यापन करते थे। इसी बीच वे पटमदा के कृषक श्रीमंत मिश्रा से मिले। उनकी सलाह पर युधिष्ठिर का रुझान फूलों की खेती की ओर गया। सबसे पहले उन्होंने छोटे भाग में गेंदे की खेती की। गेंदे की बिक्री ने जोर पकड़ा। दूसरे साल एक बीघा जमीन पर खेती की। अधिक फूल होने पर जमशेदपुर के बाजार में भी जगह बनाने लगे।
उन्होंने अपने साथ-साथ गांव के अन्य किसानों को भी फूलों की खेती से जोड़ा। युधिष्ठिर महतो कोलकाता से अच्छी किस्म के फूलों का चारा लाकर अपनी नर्सरी तैयार करते हैं। इसके बाद वह बढि़या क्वालिटी के गेंदा फूल का उत्पादन कर रहे हैं।
एक एकड़ जमीन पर 150 से 170 किलोग्राम फूल उत्पादन होने लगा। जिसे प्रति सप्ताह तोड़ते हैं। बाजार में फूल को 60-70 रुपये किलो बिक्री करते हैं। गेंदा के सीजन में वह केवल फूलों से ही एक से डेढ़ लाख रुपये कमा लेते हैं। जिससे आज उनके परिवार खुशहाल है। फूल की खेती में सबसे उल्लेखनीय यह है कि वे ऑर्गेनिक खाद का ही प्रयोग करते हैं।
---
सब्जी की खेती में केवल आर्गेनिक खाद का करते हैं प्रयोग
पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका निवासी किसान ललित मोहन मंडल खेतों में रसायनिक खाद का प्रयोग करते ही नहीं। वह आर्गेनिक खाद का ही प्रयोग करते हैं। यही कारण है कि आज वह सात बीघा जमीन पर भिंडी, करेला, खीरा, बरबट्टी, कद्दू, हरे साग की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। ललित मोहन मंडल कहते हैं कि उनके बगल में ही दधीचि मंडल भी चार बीघा जमीन पर सब्जी की खेती कर रहे हैं। दोनों चाचा-भतीजा अपने खेतों में केवल आर्गेनिक खाद का ही प्रयोग करते हैं।
----
सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है जैविक खाद
पोटका के प्रगतिशील किसान ललित मोहन मंडल कहते हैं कि वह अपने खेत में सब्जी फसल उत्पादन में केवल जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। इसके प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। उपज अधिक होता है, पौधे में लगे फसल जल्द नष्ट नहीं होते। जैविक खाद से उपजे सब्जी खाने में स्वादिष्ट व पौष्टिक से भरा रहता है।