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इस रिश्‍ते को क्‍या नाम दें: आया बनकर आई घर, बेटे का निभाया फर्ज Jamshedpur News

एक लड़की नौकरानी के रूप में परिवार में आती है और फ‍िर बेटी नहीं बेटा बनकर वह फर्ज निभाती है जिसे देखकर सेल्‍यूट करने को जी करता है। आइए जानिए क्‍या किया सुनीता ने।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 10:03 AM (IST)
इस रिश्‍ते को क्‍या नाम दें: आया बनकर आई घर, बेटे का निभाया फर्ज  Jamshedpur News
इस रिश्‍ते को क्‍या नाम दें: आया बनकर आई घर, बेटे का निभाया फर्ज Jamshedpur News

जमशेदपुर, जेएनएन। कहते हैं  कि खून के रिश्‍ते से बड़ा कोई रिश्‍ता नहीं होता। लेकिन इस रिश्‍ते को क्‍या कहेंगे जिसमें एक लड़की नौकरानी के रूप में परिवार में आती है और फ‍िर बेटी नहीं, बेटा बनकर वह फर्ज निभाती है जिसे देखकर सेल्‍यूट करने को जी करता है। परंपरा से परे यह लड़की समाज के लिए प्रेरणा की मिसाल बन जाती है। झारखंड के जमशेदपुर के पार्वती घाट पर शनिवार को एमपी सारथी को मुखाग्नि देते सुनीता को देखकर हर एक की जुबान पर ऐसी ही चर्चा थी। 

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टाटा स्‍टील के अधिकारी  रहे एमपी सारथी की पत्‍नी देवयानी ने घरेलू कामकाज में हाथ बंटाने  के लिए पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर के चंद्रजारकी गांव से सुनीता कुजूर नामक लड़की को कोई 20 वर्ष पूर्व जमशेदपुर से लाया था। देवयानी भी टाटा स्टील में स्पोट्र्स एंड कल्चरल विभाग में अधिकारी थीं। नौकरी के दौरान सारथी दंपती कदमा फार्म एरिया के रोड नंबर चार के बंगला नंबर पांच में रहते थे। सेवान‍िवृत्त होने के बाद दंपती कदमा के  एपी अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए। देवयानी उर्फ पिंकी चक्रधरपुर में निर्मला स्कूल की संस्थापिका स्निग्धा चटर्जी की सबसे बड़ी संतान थी।  सुनीता जमशेदपुर आकर सारथी दंपती की देखभाल और घर के कामकाज में हाथ बंटाने लगी। किस तरह डेढ दशक निकल गए बता ही नहीं चला। 

सारथी दंपती ने मान लिया संतान

वक्‍त बीतने के बाद सुनीता का सारथी दंपती से भावनात्‍मक लगाव हो गया कि दोनों ने अपने सहकर्मियों- रिश्तेदारों के बीच ऐलान कर दिया कि सुनीता उनके लिए पुत्र के समान है। मृत्‍यु होने पर वही पुत्र का धर्म निभाएगी और  मुखाग्नि देगी। समय का पहिया और आगे घूमता रहा और 14 नवंबर को टीएमएच में इलाज के दौरान देवयानी चटर्जी की मौत हो गई।  15 नवंबर को   देवयानी का अंतिम संस्‍कार बिष्टुपुर के स्थित पार्वती घाट पर किया गया। सुनीता ने पुत्रवत सभी पंरपराओं का निर्वहन क‍िया और देवयानी को मुखाग्नि दी। एक वर्ष पूरे होने पर सुनीता ने देवयानी का श्राद्ध भी पुत्रवत किया था और सभी परंपरा निभाई थी।

एमपी सारथी को भी दी मुखाग्नि 

पत्‍नी की मौत के बाद एमपी सारथी बीमार रहने लगे। तब पढ़ाई के साथ-साथ देवयानी मनोयोग से उनकी सेवा में लगी रही। साथ में उसकी पढाई भी जारी रही। आखिरकार सारथी की सांसों की डोर शुक्रवार यानी 14 नवंबर को टूट गई। एक बार फ‍िर सुनीता के सामने पुत्रधर्म निभाने की जिम्‍मेदारी थी। उसने बखूबी निभाया भी। उसी पार्वती घाट पर एमपी सारथी की अंत्‍येष्टि हुई जहां उनकी पत्‍नी देवयानी की हुई थी। सुनीता ने परंपराओं का निर्वहन करते हुए सारथी को मुखाग्नि दी। 

देवयानी व एमपी थे नि:संतान

देवयानी ने टाटा स्टील में कार्य करने के दौरान अपने सहकर्मी एमपी सारथी से विवाह किया था। सारथी  ने यह जानते हुए भी उनसे शादी की थी कि वे  चिकित्सकीय कारणों से कभी मां नहीं बन सकती। साथ ही उन्हें कुछ और भी शारीरिक समस्याएं थी।


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