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आज फिर शूफियों की जुबां चाहिए..हमारा प्यारा हिदुस्तां चाहिए..

धातकीडीह सामुदायिक भवन के मैदान में बने भव्य पंडाल में टाटा स्टील के अर्बन सर्विसेज द्वारा सातवीं बार मुशायरा 2020 की शाम ऐसी सजी कि हर कोई वाह.वाह.. कर उठा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 07:57 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 07:57 AM (IST)
आज फिर शूफियों की जुबां चाहिए..हमारा प्यारा हिदुस्तां चाहिए..

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : धातकीडीह सामुदायिक भवन के मैदान में बने भव्य पंडाल में टाटा स्टील के अर्बन सर्विसेज द्वारा सातवीं बार मुशायरा 2020 की शाम ऐसी सजी कि हर कोई वाह.वाह.. कर उठा।

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टाटा स्टील ने इस शानदार महफिल को विख्यात मेरठी उर्दू शायर नवाज देवबंदी, कवियत्री अना दहलवी और आरिफा शबनम ने सजाया, तो वहीं नदीम फारूख व इबरार काशिफ ने इस महफिल में चार चांद लगाए। मुशायरे की इस महफिल में देश के ताजा हालात से लेकर शाहीन बाग और एनआरसी पर कुठाराघात किया गया तो वहीं, वेलेंटाइन सहित मोदी-योगी पर चुटकी ली गई तो बड़ी संजीदगी से कई शायरों ने देश में अमन-चैन से लेकर हिदू-मुस्लिम के रिश्तों को फिर से कायम करने की दुहाई देते हुए हमारा प्यारा हिन्दुस्तां फिर से वापस लाने के गजल और बंद प्रस्तुत किए। मुशायरे के दौरान शायरों ने ऐसे-ऐसे गीत, नज्म, गजल प्रस्तुत किए कि वहां उमड़ी भीड़ ने मुशायरे की सफलता की मिसाल पेश कर दी। इस मौके पर शहर के जाने-माने शायर शाकिर अजीम बादी, गौहर अजीज, असलम बद्र, सहित अनवर आदिब ने भी अपने गीत प्रस्तुत किए।

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अफजल दानिश के गजलों ने खूब लूटी वाहवाही

मुशायरे में रुड़की के अफजल दानिश ने के गजल व गीतों ने सबसे ज्यादा वाहवाही लूटी।

चाहिए प्यार अमनो अमां चाहिए

साहिबो हमको हिदुस्तां चाहिए

आज फिर चाहिए हमको संतो का दिल

आज फिर शूफियों की जुबां चाहिए..

हमारा प्यारा हिदुस्तां चाहिए.. -ये सुलगते मनाजिर भला कब तलक

अब हमको जन्नतो का समां चाहिए -हंसी तुम्हारे लंबो पर बहुत ही प्यारी है

इसे संभाल के रखना कि ये हमारी है। -जमाने अंगुली उठाने न पाए अपनी चाहत पर

हमारे साथ तुम्हारी भी जिम्मेदारी है.। -हम उनको देखे तो जी भर किस तरह से

नजर की वादी में हर वक्त पहरेदारी है.। -सब उल्टा आईना लेकर खड़े हैं

ये दुनिया क्या दिखाना चाहती है.। -ये ख्वाहिश कैसी दोषी जाहिदा दानिश

न रुकती है न जाना चाहती है। -अपने हाथों में मुहब्बत का खजाना आ गया

मिल गए हो तुम तो हम को तो मुस्कुराना आ गया.। -ये दर्द एक शर्त पर तेरा सिर छोड देगा

जो तू दुनिया का चक्कर छोड़ देगा -वो होगा और जन्नत की बहारे

अंजान छोड़ कर जो बिस्तर छोड़ दे -ऐसी तहजीब सिखाओ वरना, ये बच्चा हाथ तुम पर छोड़ देगा

उसे दानिश कलेजे से लगा लो, वो खुद हाथों से खंजर छोड़ देगा। -बेटी के होंठों पर खिल उठता है मां का प्यार

भाई अपनी बहन की खातिर मरने को तैयार

दे के प्यार बाप, यहां करता है कन्यादान

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बिछड़ कर तुझसे किसी दूसरे पर मरना है

ये तजुर्बा इसी जिंदगी में पूरा करना है।

तूने जो जख्म दिए हैं

उसे भी इसी जिंदगी में भरना है।

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फारूख नदीम, उत्तर प्रदेश :

-शहर में चर्चा है उसके लहजे का

मुझे यकीं है वो उर्दू बोलता होगा। -हवेली झोपड़ी नहीं रहेगी

दुआ कीजिए ये मुहब्बत रहे नहीं तो

ये रिश्ते टूट गए तो भारत टूट जाएगा। कौमी यकजहती : अगर आप पंडित राम प्रसाद बिस्मिल हैं तो आसपास अशफाक उल्लाह खां खोजिए। यदि अशफाक हैं तो बिस्मिल खोजिए। जब मिल जाए तो कंधे में हाथ रख कर कह दे..

न तेरा है न मेरा है ये हिन्दुस्तां सबका है

नहीं समझी गई बात तो नुकसान सबका है

नदियां निकलती हैं तो गर दिखती नहीं

ये सागर बन जाएं तो नुकसान सबका है.। असलम बद्र : दोराबी जी ने एक बार कहा था कि हमारी मंशा दौलत कमाना नहीं बल्कि कौम को आगे बढ़ाना है। उनकी वो बात आज भी प्रसांगिक है। आज के सियासत मजहब, फिरकत, जुबान के नाम पर राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है। -नजर की ओर में सारे जहान को रखा

पलक की छावं में हिदुस्तां को रखा..। -इस शहर में मेरे खून के आसार बहुत हैं

हम जाग उठे तो गुनहगार बहुत हैं।

दुश्मन ने मेरी पुष्क पर वार क्यों किया

ये रस्म निभाने को मेरे यार बहुत है.

कब मैं दिखाता रहूं जख्मों के दहाने

मिया महसूस करो तो मेरे असरार बहुत है.।

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आज कोई बैंगन-टिंडे का त्योहार है

मुशायरे में उत्तर प्रदेश के कासगंज से नदीम फारूख ने संचालन किया। अपने चुटीले अंदाज में कहा कि आज शायद को बैंगन टिंडे (वेलेंटाइन डे) का त्योहार है। जहां सुबह को प्यार होता है, दोपहर को जवां होता है और शाम तक तो बच्चों के नाम तक रख लिए जाते हैं।

तुम अपनी शर्तो पर खेल खेलो

मैं अपनी शर्तो पर खेलूंगा

तुम हारे तो तुम मेरे और मैं हारा तो मैं तुम्हारा।

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गौहर अजीज, जमशेदपुर :

- मुहब्बत दामन-ए सर चाक सीने नहीं देती

सियासत आदमी को चैन से जीने नहीं देती

है दुनिया ऐसा मयखाना..

मगर किस्मत किसी मयखार को पीने नहीं देती। -सुना है उसके हिस्से में कभी इज्जत नहीं आई

मुरव्वत जिसके अंदर सुरत-ए हुस्न न आई

हुआ कुर्बान अकीत पर वो

मगर इस पर भी उस मगरूर को गैरत नहीं आई। -यकीन का टल गया मौसम जो आने वाला था

हम अब के साल भी वहमो गुमा में गुजरेंगे

हर आदमी यहां कई इंतहा से गुजरेंगे। -गुजर चुके हैं बहुत आन-बान वाले लोग

हम और आप भी एक दिन यहां से गुजरेंगे। -मौजों से बचकर न होगा दरिया पार

कब तक चलेगी कस्तियां साहिल के साथ-साथ

गौहर किसी के प्यार का आंचल तो चाहिए

करती है वरना जिंदगी मुश्किल के साथ-साथ

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अनवर आदिब : जमशेदपुर

-हम अभी चुप है किसी रोज जरूर बोलेंगे

और फिर देखना बेखौफ बोलेंगे

ये शहर मेरा शहरे खतर कहां था

चौराहों पर पसरा सन्नाटा पहले कहां था। -आज कपड़ों पर है हाकिम की नजर

इन लिबासों में गुनहगार हैं क्या.। -मौसम बदल गया है पर एहसास है वही

बारिश के दिन हैं मगर मेरी प्यास वही ह।ै -यू तो हर मसला सुलझाए हुए हैं

एक घर ही मगर उलझाए हुए है

एक छोटा सा कमरा है सिमटा हुआ

वो भी मुझे बिखराए हुए है।

वक्त आराम से कटा गैरो में मगर

दोस्तों में मगर उकताए हुए हैं।

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सईद हसन, जमशेदपुर :

तन्हाई का बोझ ये उठाना भी नहीं है

तुमको मेरा साथ निभाना भी नहीं है

ये आज के हैं मुहब्बत

गर लगती है तो बुझानी भी नहीं है। -उत्तर प्रदेश में योगी जी जो काम खुद नहीं करते, वो दूसरों को भी करने नहीं देते। लेकिन ये बात साबित हो गई कि गलतफहमी है कि सफल मर्दो के पीछे औरतों का हाथ होता है। यहां तो कई ऐसे कामयाब हैं जो कुंवारे है। उर्दू नहीं है कोई मजहबी जुबान : एसपी

इससे पहले शहर के सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट ने दीप प्रज्वलित कर मुशायरे का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उर्दू कोई मजहबी जुबान नहीं बल्कि हिन्दुस्तान और तुर्की भाषा को मिलाकर बनाया गया है। हिन्दी यदि मां है तो उर्दू उसकी बेटी। उर्दू भाषा का न तो काई सानी है और न ही कोई उसके समानांतर में है। इस मौके पर टाटा स्टील सीएसआर चीफ सौरभ रॉय, हेड जिरेन टोप्पो, हसन मल्लिक सहित बड़ी संख्या में मुशायरा प्रेमी उपस्थित थे।


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