सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव : भरत वसानी हो सकते महासचिव, मूनका की राह कठिन
सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव में इस बार अध्यक्ष के चुनाव में सुरेश सोंथालिया नहीं लड़ेंगे।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव में इस बार अध्यक्ष पद पर अशोक भालोटिया दोबारा आएंगे, लेकिन नीचे के पदों पर फेरबदल होना तय है। सबसे ज्यादा घमासान महासचिव पद को लेकर है। बताया जाता है कि इस बार भरत वसानी के महासचिव बनने की पूरी संभावना है। चैंबर में फिलहाल जितने पदाधिकारी हैं, उनमें भरत वसानी सबसे ज्यादा अनुभवी हैं। इसके बावजूद वे अभी तक महासचिव नहीं बन सके हैं।
पिछले चुनाव में ही भरत का नाम आगे आ रहा था, लेकिन सुरेश सोंथालिया उन्हें मनाने में कामयाब हो गए थे। भरत चार-चार साल उपाध्यक्ष व सचिव रहे हैं। वहीं विजय आनंद मूनका चार साल महासचिव रह चुके हैं, लिहाजा उन पर पद छोड़ने का दबाव ज्यादा है। वैसे सुरेश सोंथालिया व अशोक भालोटिया मौजूदा टीम की वापसी चाहते हैं, लेकिन इन पदों को लेकर स्थिति बदल सकती है। चैंबर सदस्यों का भी मानना है कि अनुभवी लोगों को प्रोन्नति मिलनी चाहिए, वरना नए लोगों को मौका कब और कैसे मिलेगा।
मुन्ना बन सकते उपाध्यक्ष के उम्मीदवार
यदि इस फार्मूले को अमल में लाया गया तो इस बार सत्यनारायण अग्रवाल मुन्ना को उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मुन्ना भी छह साल से सचिव ही बने हुए हैं। ऐसा होने से सचिव व उपाध्यक्ष के पदाधिकारियों में फेरबदल होना स्वाभाविक है। ऐसे में एकाध नए चेहरे को मौका मिल सकता है। चैंबर में कई ऐसे सदस्य हैं जो पदाधिकारी बनने की काबिलियत रखते हैं। यह अलग बात है कि अधिकांश सुरेश सोंथालिया की बात मानकर पद की बजाय उनके सानिध्य को प्राथमिकता देते हैं।
मैं पहले की तरह आपके साथ रहूंगा : सोंथालिया
सिंहभूम चैंबर में अशोक भालोटिया के दोबारा अध्यक्ष बनने की खबर दैनिक जागरण में छपने से मंगलवार को चैंबर सदस्यों में खलबली मच गई। सदस्यों की मांग पर आनन-फानन शाम को चैंबर भवन में बैठकबुलाई गई, जिसमें करीब डेढ़ सौ सदस्य पहुंचे थे। सदस्यों के आग्रह पर बैठक में सुरेश सोंथालिया भी आए। सदस्य इस बात से नाराज थे कि वे अध्यक्ष क्यों नहीं बनना चाहते। इस पर सोंथालिया ने सदस्यों से कहा कि आपलोगों के दबाव और प्यार को देखते हुए मैं पहले भी अध्यक्ष बना था। अब वे नए लोगों को मौका देना चाहते हैं। जहां तक उपलब्धता की बात है तो मैं पहले की तरह आपके साथ रहूंगा। आप जब भी मुझे याद करेंगे, पहले की तरह हाजिर रहूंगा। इसलिए यह कभी मत सोचें कि मैं आपलोगों से अलग हो गया हूं। अंत में सदस्यों ने भारी मन से सुरेश सोंथालिया की इच्छा सम्मान किया, तो पदाधिकारियों के चयन की जिम्मेदारी भी उनपर छोड़ी। सभी ने इस बात को स्वीकार किया कि सुरेश सोंथालिया व अशोक भालोटिया जिसे जिस पद की जिम्मेदारी देंगे, हमें स्वीकार्य होगा।