विमान दुर्घटनाओं की जांच में एनएमएल करेगा तकनीकी सहयोग
बर्मामाइंस स्थित राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) की विशेषज्ञता का इस्तेमाल अब अधिक व्यापक व कारगर तरीके से होगा। विमान दुर्घटनाओं के कारणों की जांच में एनएमएल की विशेषज्ञता का इस्तेमाल सिविल एविएशन विभाग कर सकेगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बर्मामाइंस स्थित राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) की विशेषज्ञता का इस्तेमाल अब अधिक व्यापक व कारगर तरीके से होगा। विमान दुर्घटनाओं के कारणों की जांच में एनएमएल की विशेषज्ञता का इस्तेमाल सिविल एविएशन विभाग कर सकेगा। इसके लिए गुरुवार को नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी भवन में सीएसआइआर - एनएमएल व एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (एएआइबी) के बीच एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए गए। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव प्रदीप सिंह खरोला की मौजूदगी में हुए समझौते पर सीएसआइआर एनएमएल के निदेशक डॉ. इंद्रनील चट्टोराज व एएआइबी के महानिदेशक अरविंदो हांडा ने हस्ताक्षर किए।
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पांच साल के लिए हुआ समझौता
एनएमएल व एएआइबी के बीच हुए समझौते की अवधि पांच साल की है। एनएमएल के लिए इसका फायदा यह भी होगा कि यहां के वैज्ञानिकों को उड्डयन से संबंधित समस्याओं पर शोध व विकास का अवसर मिल सकेगा।
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सैन्य के बाद अब यात्री विमानों के भी आएगी विशेषज्ञता : डॉ. इंद्रनील चट्टोराज
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद दिल्ली से दूरभाष पर एनएमएल के निदेशक डॉ. इंद्रनील चट्टोराज ने बताया कि विमान दुर्घटनाओं की जांच की विशेषज्ञता एनएमएल के पास है। सैन्य विमानों के मामले में यह संस्थान पहले से ही काम कर रहा है। इस समझौते के बाद यात्री विमानों के मामले में भी यह विशेषज्ञता काम आएगी। यात्री विमान कई मामलों में सैन्य विमानों से अलग होते हैं। इनका इंजन, बॉडी आदि अलग प्रकार के होते हैं। खासतौर से पूर्वी क्षेत्र में यात्री विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर एनएमएल से तुरत सहयोग मिलेगा और साथ मिलकर दुर्घटना के कारणों की जांच की जा सकेगी।