Jal Jagran महिलाओं को दो किलोमीटर दूर से पानी लाते देखा और करने लगे जल संचयन
ये हैं पूर्वी सिंहभूम के जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह। दो-दो किलोमीटर दूर से माथे पर महिलाओं को पानी लाते देखा तो इन्होंने जल संचयन का काम शुरू कर दिया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। Jal Jagran झारखंड में वर्षा जल संचयन को लेकर दैनिक जागरण 'कितना-कितना पानी' अभियान चला रहा है। अलग-अलग चरणों में चल रहे इस अभियान के चौथे चरण में पूरे राज्य के विद्यालयों में जल सेना का गठन हो रहा है। यह जल सेना हर खास-ओ-आम को जल संचयन के प्रति जागरूक करेगी और इसके लिए प्रेरित करेगी। कुल मिलाकर जागरण और राज्य सरकार पानी अभियान में अब सहभागी बन कर काम कर रहे हैं। पूर्वी सिंहभूम में भी जल के संरक्षण को लेकर जिला परिषद के तमाम सदस्य, जिला प्रशासन और दैनिक जागरण मिलकर काम कर रहे हैं। इस संबंध में जिला परिषद के उपाध्यक्ष राजकुमार से बातचीत हुई। बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल : आज के परिवेश में पानी बचाना कितना महत्वपूर्ण है?
जवाब : पानी का महत्व मैं बेहतर तरीके से जानता हूं। 28 साल बाद हुए जिला परिषद के चुनाव में जीतकर 2010 में परिषद का सदस्य बना। अक्सर काम करके देर रात घर लौटते वक्त मैं देखता था कि महिलाएं दो-दो किलोमीटर दूर से सिर पर पानी लेकर अपने घर जा रही हैं। उसी समय ठान लिया कि अभियान के रूप में पानी बचाने के लिए काम करूंगा। सबसे पहले निजी रूप से एक टैंकर खरीदकर पानी की कमी वाले इलाकों में पेयजल की आपूर्ति को शुरू कराया।
सवाल : पानी बचाने के लिए अब तक क्या-क्या उपाय किए हैं?
जवाब : टाटा स्टील से बात करके अपने जिला परिषद क्षेत्र के वैसे कुएं चिह्नित किए जो हर साल अक्टूबर में ही सूख जाते थे। टाटा स्टील से सीएसआर के तहत मदद लेकर इन कुओं में बारिश का पानी संरक्षित करने की व्यवस्था कराई। आज उन कुओं में हर साल मार्च तक पानी रहता है। जिस इलाके का जलस्तर 800 फीट तक नीचे तक चला गया था, अब वहां 500 फीट तक भू-जल स्तर आ गया है।
सवाल : रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए क्या-क्या कर रहे हैं?
जवाब : अपने जिला परिषद क्षेत्र के छह स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा दिया हूं और वहां वर्षा जल संरक्षित हो रहा है। अपने स्तर से अपने इलाके में जलापूर्ति और जल संरक्षण से संबंधित 10-10 लाख रुपये की एक दर्जनों योजनाएं पांच पंचायतों में शुरू करवा चुका हूं। पूरे क्षेत्र में जहां-जहां जलापूर्ति के नल व चापाकल हैं, वहां-वहां शॉक-पिट बनवाया हूं। 20 शॉक-पिट बन गए हैं और काम चल रहा है।
सवाल : तालाबों के पुनरुद्धार के लिए क्या-क्या किया है?
जवाब : मेरे इलाके में दो ऐसे निजी तालाब हैं जो भर गए और सूख चुके थे, उनको कारपोरेट घरानों से मदद लेकर गहरा कराया, साफ कराया और अब ये दापू और कारगिल तालाब वर्षा जल संचयन के लिए तैयार हैं।
सवाल : जल संचयन के लिए पौधरोपण बहुत महत्वपूर्ण है, इसके लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब : अपने दो कार्यकाल के दौरान अपने क्षेत्र के तमाम स्कूलों में और गांवों में अब तक लगभग एक हजार पौधे लगवा चुका हूं। इनमें से अधिकतर अपने पूर्ण आकार में आ चुके हैं। अभी पौधरोपण अभियान चल ही रहा है।
सवाल : आगे की क्या योजना है?
जवाब : बारिश का एक बूंद पानी भी बर्बाद न हो, इसके लिए हर संभव उपाय कर रहा हूं। पूरे जिले में जहां भी संभव है, लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर रहे हैं कि नहीं, इसकी निगरानी भी कर रहा हूं। लोगों से लगातार इसके लिए अपील भी कर रहा हूं। इसके साथ ही बड़े नालों के पानी को री-साइकिल करके खेतों में सिंचाई की जा सके, इसके लिए भी प्रयासरत हूं।
सवाल : जिला परिषद के अन्य सदस्यों को क्या संदेश देंगे?
जवाब : अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को मिलाकर पूरे जिले में कुल 27 जिला परिषद क्षेत्र है। वैसे तो तमाम सदस्य अपने-अपने स्तर से जल संचयन के लिए जरूरी काम कर रहे हैं, पर उनको और उत्साहित करने का भी प्रयास किया जाएगा।