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व्यावसायिक वाहन उद्योग पर सबसे बड़ा संकट का दौर, ये रही वजह Jamshedpur News

जनवरी से ही व्यावसायिक वाहनों को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। भारी वाहनों (ट्रक ट्रेलर डंपर आदि) में तीन-चार साल पहले भी मंदी आई थी लेकिन दौर जल्द खत्म हो गया था।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 11:20 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 11:20 AM (IST)
व्यावसायिक वाहन उद्योग पर सबसे बड़ा संकट का दौर, ये रही वजह Jamshedpur News
व्यावसायिक वाहन उद्योग पर सबसे बड़ा संकट का दौर, ये रही वजह Jamshedpur News

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा।  झारखंड की औद्योगिक राजधानी कहा जाने वाला जमशेदपुर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह व्यवसायिक वाहन उद्योग में आई मंदी है। इससे ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां कराह रही हैं। 

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वैसे तो देश भर में सभी तरह के वाहनों की बिक्री में मंदी आई है, लेकिन जमशेदपुर में ऐसा नहीं है। यहां सिर्फ व्यवसायिक वाहन (कमर्शियल व्हेकिल) की मांग व बिक्री में गिरावट है। सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक भालोटिया बताते हैं कि हम जनवरी से ही व्यवसायिक वाहनों की मंदी का सामना कर रहे हैं, जो लगातार गिरता जा रहा है। भारी वाहनों (ट्रक, ट्रेलर, डंपर आदि) में तीन-चार साल पहले भी मंदी आई थी, लेकिन वह दौर इतना लंबा नहीं था।

लंबा खिंच रहा दौर

इस बार यह लंबा खिंच रहा है। उत्पादन कम होने का सिलसिला लगभग चार माह से चल रहा है। अभी यह दौर कम से कम तीन माह और रहेगा। आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की लगभग एक हजार कंपनियां टाटा मोटर्स से जुड़ी हैं, लिहाजा सबकी स्थिति खराब है। जिन कंपनियों में दो शिफ्ट में काम होता था, वह एक शिफ्ट में चल रहा है। उत्पादन आधे से भी कम हो गया है। इससे मजदूरों की छंटनी भी हुई है, वह अलग संकट है। रोज कमाने-खाने वाले मजदूर सबसे ज्यादा परेशानी में हैं। वहीं आदित्यपुर स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एसिया) के अध्यक्ष इंदर अग्रवाल का कहना है कि भारी वाहन उद्योग में देशव्यापी मंदी है। जाहिर है कि इसका असर टाटा मोटर्स समेत पूरे भारी वाहन उद्योग पर पड़ रहा है। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि एक-दो माह बाद स्थिति में सुधार होने लगेगा।

कैश फ्लो की कमी बड़ी वजह

कमर्शियल व्हेकिल में मंदी की बड़ी वजह बाजार में कैश फ्लो का कम होना है। एनबीएफसी (नन-बैंकिंग फिनांशियल कंपनी) में कैश फ्लो कम होने के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर और माइनिंग सेक्टर में भी स्लो-डाउन है। यही वजह है कि इस बार के बजट में बैंकों को 70 हजार करोड़ अतिरिक्त देने की घोषणा की गई है। उम्मीद है कि यह पैसा बाजार में आने के बाद स्थिति में सुधार होने लगेगा।

- एसके बेहरा, वाइस चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, आरएसबी ट्रांसमिशंस (इ.) लिमिटेड


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