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जन्म लेते ही रिकार्ड में दर्ज हो गए 188 नवजात, मा की कोख बना कवच, दूध भी अमृत समान

अमित तिवारी जमशेदपुर मा की कोख सुरक्षा कवच है। कोरोना संक्रमण भी इसे नहीं भेद सका। शुरुअ

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 03:51 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 03:51 PM (IST)
जन्म लेते ही रिकार्ड में दर्ज हो गए 188 नवजात, मा की कोख बना कवच, दूध भी अमृत समान
जन्म लेते ही रिकार्ड में दर्ज हो गए 188 नवजात, मा की कोख बना कवच, दूध भी अमृत समान

अमित तिवारी, जमशेदपुर : मा की कोख सुरक्षा कवच है। कोरोना संक्रमण भी इसे नहीं भेद सका। शुरुआती दौर में इसे लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई थी। कोई मा की कोख को सुरक्षित बता रहा था, कोई कोरोना होने का खतरा जता रहा था। लेकिन, पूर्वी सिंहभूम जिले का आकड़ा साबित करता है कि मा की कोख सुरक्षा कवच तो हैं ही दूध भी अमृत समान है। जिले में बीते आठ माह में कुल 188 कोरोना पाजिटिव गर्भवती का प्रसव हुआ है। सभी नवजातों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। सिर्फ दो नवजात की ही रिपोर्ट कुछ दिनों के बाद पाजिटिव आई। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि वह दोनों नवजात अपनी मा की कोख में स्वस्थ थे, लेकिन जन्म लेने के बाद कई लोगों के संपर्क में आने से हो सकता है कि संक्रमित हो गए हों। जिले में कोरोना पाजिटिव गर्भवती के लिए तीन अस्पतालों में अलग से ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था की गई थी। इसमें महात्मा गाधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल, टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) व बारीडीह स्थित मर्सी अस्पताल शामिल हैं। एमजीएम में कुल 64, टीएमएच में 102 और मर्सी अस्पताल में 22 कोरोना पाजिटिव गर्भवती का प्रसव हुआ। इसमें सिर्फ टीएमएच में जन्म के बाद दो नवजात संक्रमित पाए गए थे। लेकिन अब वह भी स्वस्थ हैं। कोरोना संक्रमित गर्भवती का प्रसव स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत की गई।

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-------------- नर्सिग होम में पाजिटिव महिलाओं का नहीं हो रहा प्रसव

कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं की परेशानी बढ़ गई है। शहर के अधिकाश नìसग होम में कोरोना पाजिटिव गर्भवती का प्रसव नहीं हो रहा है। अगर कोई महिला प्रसव कराने के लिए पहुंचती है तो पहले कोरोना जाच कराई जाती है। रिपोर्ट अगर पाजिटिव आई तो उसे एमजीएम, मर्सी या टीएमएच रेफर कर दिया जाता है। वहीं, रिपोर्ट निगेटिव आती है तो प्रसव कराया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि पाजिटिव महिलाओं का प्रसव कराने में काफी सावधानी बरती जाती है। अगर थोड़ी सी भी लापरवाही हुई तो नवजात सहित डाक्टर, कर्मचारी व अन्य रोगी भी संक्रमित हो सकते हैं। नìसह होम में इतनी सुविधाएं नहीं हैं। न तो अगल से ऑपरेशन थियेटर है और न ही बड़ी संख्या में मैनपावर। ऐसे में सही ढंग से सैनिटाइज भी नहीं हो पाता है।

------------------------- जिले में पुरुष अधिक और महिलाएं कम हुई संक्रमित

पूर्वी सिंहभूम जिले में पुरुष अधिक और महिलाएं कम कोरोना संक्रमित हुई हैं। जिले में अबतक कुल 15 हजार 900 लोग कोरोना पाजिटिव हुए हैं। इसमें पुरुषों की संख्या दस हजार 950 है, जबकि पाजिटिव महिलाओं की संख्या चार हजार 950 है। 15 से 29 उम्र के बीच की महिलाएं सबसे अधिक संक्रमित हुई। इनकी संख्या एक हजार 475 है। वहीं, 14 के नीचे उम्र की युवतियां कम संक्रमित हुई है।

------------------------- जिले में किस उम्र में कितनी महिलाएं संक्रमित हुई

उम्र ------- संख्या

14 से कम ---- 298

15 से 29 के बीच ---- 1475

30 से 44 के बीच ---- 1473

45 से 59 के बीच ---- 1089

उम्र 60 से ऊपर ---- 615

----------------- जानिए क्या कहते हैं विशेष

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन महिला विंग की अध्यक्ष सह महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. वनिता सहाय कहती हैं कि प्रसव के बाद ही नवजात को कोरोना होने का खतरा रहता है। यूट्रेस में सिर्फ 0.1 फीसद ही वायरस होने की संभावना होती है। जन्म लेने के बाद नवजात को विशेष सावधानी से रखना होता है। अगर कोई संक्रमित मरीज खास भी देता है तो नवजात के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। मा का दूध भी अमृत समान है। मास्क लगाकर दूध पिलाने को कहा जाता है।


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