हक के लिए दिल्ली में हुंकार भरेगा कू़ड़मि समाज, चार राज्यों से होगी जुटान
हक मांगने के लिए कूड़मि समाज देश की राजधानी दिल्ली में डेरा डालेगा। करीब पचास हजार लोगों के शामिल होने की तैयारी है।
जमशेदपुर(जेएनएन)। हक मांगने के लिए कूड़मि समाज देश की राजधानी दिल्ली में डेरा डालेगा। झारखंड, ओडिशा,पश्चिम बंगाल और असम से करीब पचास हजार लोगों के दिल्ली के जंतर-मंतर पर 21 एवं 22 नवंबर को आयोजित माहूर डांड़ आगुयान में शामिल होने की तैयारी है। कार्यक्रम का आयोजन छोटानागपुर टोटेमिक आदिवासी कूड़मि समाज ने किया है। मांगों में दो मांगे मुख्य है। कूड़मि समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना और कूड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना।
आधा दर्जन संगठनों की भागीदारी
कूड़मि समाज के मुख्य सलाहकर अजीत प्रसाद महतो ने बताया कि कार्यक्रम में आदिवासी कूड़मि समाज, कूड़मि सेना, कूड़मि विकास मोर्चा और अन्य कूड़मि संगठनों की भी भागीदारी होगी। उन्होंने बताया कि ट्राइबल कल्चर, इतिहास और धरोहर को संजोना भी आयोजन का मकसद है। कार्यक्रम के दौरान प्रर्दशनी भी लगाई जाएगी। बंगाल से आदिवासी कूड़मि समाज और कूड़मि सेना, ओडिशा से कूड़मि सेना,झारखंड से कूड़मि विकास मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इनकी प्रमुख उपस्थिति
कूड़मि समाज के मुख्य सलाहकर अजीत प्रसाद महतो, कूड़मि विकास मोर्चा के नेता शीतल ओहदार, आदिवासी कूड़मि समाज के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष प्रसेनजित महतो, ओडिशा कूड़मि सेना के चीफ कमांडर जयमुनि महंत के सहित राजेश महतो, अमित महतो, शशांक शेखर महतो, जयराम महतो, निपेन महतो, रबीन्द्रनाथ महतो, विश्वजीत महतो, सहदेव महतो, संजय महतो, विप्लव महतो, रंजीत बनुयर आदि उपस्थित रहेंगे ।
समाज के विलुप्त होने का अंदेशा
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद 71 सालों से कूड़मि समाज अपने हक से वंचित है । ऐसी स्थिति है कि समाज आज विलुप्त होने जा रहा है। अपने सांविधानिक अधिकार, भाषा, संस्कृति को जीवित रखने के लिए तमाम कूड़मि समाज एकजुट होकर दिल्ली के जंतरमंतर पर अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रदर्शन करते हुए भारत सरकार से मांग रखेगा। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष के अनेक आदिवासी समाज विलुप्त हो चुके हैं । कूड़मि समाज की मांगें नहीं मानी गई तो यह समाज भी विलुप्त हो जाएगा । अपना जल, जंगल और जमीन के हक से वंचित होते- होते आज पूरे समाज का हाल बेहाल हो गया है।