भीष्म साहनी व इस्मत ने कलम से लिखी इबारत
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : भीष्म साहनी व इस्मत चुगताई ना केवल अनूठे साहित्यकार थे, बल्कि उन्होंने
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
भीष्म साहनी व इस्मत चुगताई ना केवल अनूठे साहित्यकार थे, बल्कि उन्होंने कलम के जरिए समाज में एक इबारत लिखी। ये बातें रविवार को प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित जन्मशती समारोह पर हुई विचार गोष्ठी में कही गई।
सेंटर फॉर एक्सीलेंस में हुए सेमिनार में वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतररारष्ट्रीय ¨हदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि भीष्म साहनी ने देश के बहुलतावादी सामाजिक संरचना और धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक व्यवस्था के सामने पैदा होने वाली चुनौतियों को सामने रखा। इन चुनौतियों का सामने करने में साहनी का साहित्य काफी मदद भी करता है। दिन भर चले सेमिनार के दूसरे सत्र में जलेस के राष्ट्रीय महासचिव अली जावेद ने बतौर मुख्य वक्ता इस्मत चुगताई की तुलना प्रेमचंद से की। जावेद ने कहा कि प्रेमचंद ने दबे-कुचले लोगों को नायकत्व प्रदान किया, तो इस्मत ने घर की देहरी में बंद महिलाओं को आवाज दी। हालांकि उन पर अश्लील साहित्य के आरोप में मुकदमा भी हुआ था, लेकिन उन्होंने वह लड़ाई भी जीतकर बता दिया कि शोषित-वंचित महिलाओं की पीड़ा व्यक्त करना अश्लीलता नहीं हो सकता। सेमिनार को रांची विवि के पूर्व ¨हदी विभागाध्यक्ष रवि भूषण, ¨हदी विश्वविद्यालय वर्धा के सहायक प्राध्यापक राकेश मिश्रा व कोलकाता के प्रभारी सह पत्रकार कृपाशंकर चौबे ने भी संबोधित किया। दोनों सत्रों का संचालन करते हुए सुभाष गुप्ता व एसएम याहया इब्राहिम ने क्रमश: भीष्म साहनी व इस्मत चुगताई से संबंधित अनछुए पहलुओं को रखा। सेमिनार की अध्यक्षता जयनंदन ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन नियाज अख्तर व शशिकुमार ने किया। इस मौके पर अहमद बद्र, अरविंद विद्रोही, दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश समेत कई साहित्यकार व साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।