जरूरी है रिसर्च की व्यावहारिकता
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मैनेजमेंट में पीएचडी और फेलो प्रोग्राम कर रहे शोध छात्रों को प्रबंधन के
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मैनेजमेंट में पीएचडी और फेलो प्रोग्राम कर रहे शोध छात्रों को प्रबंधन के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम बदलाव व विकास के बारे में जानने और अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एफपीएम एंड रिसर्च विभाग द्वारा आयोजित 'डॉक्टरल कोलोक्वियम 2014' का रविवार को समापन हुआ। इस दौरान कई सत्र आयोजित किए गए जिनमें शोध छात्रों को रिसर्च से जुड़ी कई बाते जानने का मौका मिला।
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रिसर्च का प्रैक्टिकल एप्लीकेशन जरूरी
प्रबंधन के क्षेत्र में रिसर्च करने के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की रिसर्च का प्रैक्टिकल एप्लीकेशन किस तरह किया जा सकता है। रिसर्च की भाषा सहज-सरल होनी चाहिए ताकि उसे सभी समझ सकें, डॉक्टरल कोलोक्वियम के आखिरी दिन समापन समारोह के दौरान डॉ जितेंद्र सिंह ने उक्त बातें कहीं। समारोह विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद डॉ जितेंद्र सिंह ने देशभर से आए डॉक्टरल छात्रों को रिसर्च से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के साथ-साथ अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा की जिस वक्त उन्होंने रिसर्च किया था उस समय कम्प्यूटर और इंटरनेट जैसी सुविधाएं नही मौजूद थी, पर आज शोध करनेवालों के लिए ऐसी कई सुविधाएं मौजूद हैं।
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शोध के विषय का चयन महत्वपूर्ण
सुबह 9 बजे से लेकर साढ़े दस बजे तक चले सेशन के दौरान एक्सएलआरआइ के डॉ ईएस श्रीनिवास ने 'आर्ट ऑफ चूजिंग: सेलेक्टिंग रिसर्च टॉपिक, गाइड' विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने शोधार्थियों को बताया की किस आधार पर शोध के विषय का चयन करना चाहिए। उन्होंने कहा की शोध का विषय चयन करते वक्त फंडामेंटल थ्योरीज का ध्यान रखना भी जरूरी है। आइआइएम कलकत्ता के डॉ रोहित वर्मन ने इंटरप्रेटिव रिसर्च के बारे में बताया। एक्सएलआरआइ के एफपीएम एंड रिसर्च के एसोसिएट डीन प्रो. संजय पात्रो ने हर साल इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात कहते हुए ज्यादा से ज्यादा रिसर्च स्कॉलर्स को इससे जोड़ने का प्रयास करने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।