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दुनिया के सभी ग्रंथों की जननी वेद : डा. चंद्रकांत शुक्ल

संवाद सहयोगी हजारीबाग संत कोलंबा महाविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दर्शन विमर्श

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 08:39 PM (IST)
दुनिया के सभी ग्रंथों की जननी वेद : डा. चंद्रकांत शुक्ल

संवाद सहयोगी, हजारीबाग : संत कोलंबा महाविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दर्शन विमर्श पर गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें वक्ताओं ने विश्व की परिकल्पना को वेद में समेट कर भारतीय चितन और श्रीमद् भागवद् गीता के तीन तत्वों प्रकृति, आत्मा और ब्रह्म का उल्लेख किया। गीता के निष्काम कर्मयोग के बारे में विस्तार से वर्णन किया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विभावि के प्रतिकुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, दरभंगा विवि के कामेश्वर सिंह, दरभंगा विवि के पूर्व उप कुलपति डा. चंद्रकांत शुक्ल , प्रभारी प्राचार्य डा. जेआर दास, डा. ताराकांत शुक्ल व परीक्षा नियंत्रक डा. प्रदीप प्रसाद ने संयुक्त रूप से आदि गुरु शंकराचार्य के चित्र पर माल्र्यापण कर किया। डा. चंद्रकांत शुक्ला ने कहा कि भारतीय दर्शन जीवन शैली की धरोहर है। प्रत्येक विषयों की पीएचडी की डिग्री में दर्शन शब्द आगे है। यह हमें दर्शाता है कि हमें भारतीय दर्शन को जानने का प्रयास करना है। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील कुमार टोप्पो ने की। शुभारंभ में मंगलाचरण संस्कृत विभाग के विद्यार्थी सुधांशु एवं गोपाल के द्वारा कराया गया। संस्कृत विभाग के ही अदिति नमामि एवं गुड़िया शेखर के द्वारा बहुत ही मधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में स्वागत भाषण करते हुए प्राचार्य डॉ सुशील कुमार टोप्पो ने मंचासीन अतिथियों का संत कोलंबा महाविद्यालय परिवार के तरफ से अभिनंदन और स्वागत करते हुए व्याख्यान के विषय के संदर्भ में भारतीय आध्यात्मिक दार्शनिक परंपरा के विभिन्न संप्रदायों का उल्लेख करते हुए आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक बतलाया। प्रतिकुलपति ने अपने उद्बोधन में बताया कि भारतीय दर्शन की प्रकृति आध्यात्मिक रही है। उन्होंने बौद्ध दर्शन एवं जैन दर्शन की भी बहुत विस्तार से चर्चा की। भारतीय दर्शन के बहुत ही विस्तृत आचार्यों की परंपरा का उल्लेख करते हुए बताया कि केवल जैन दर्शन में 263 आचार्य (गुरु) एवं बौद्ध दर्शन में 62 आचार्य (गुरु) रहे हैं। उसी प्रकार आस्तिक दर्शन में भी सांख्य दर्शन से लेकर वेदांत दर्शन तक आचार्यों की संख्या बहुत रही है। कार्यक्रम की तैयारी में संस्कृत विभाग के डॉ सुबोध कुमार साहु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सिडिकेट सदस्य डॉ विमल रेवेन, शिक्षक संघ की अध्यक्षा डॉ सरिता सिंह, शिक्षक संघ के सचिव डॉ भुवनेश्वर महतो, डॉ सत्येंद्र कुमार, डॉ सुनील कुमार दूबे, डॉ अशोक राम, डॉ सरवर अली, डॉ बालेश्वर यादव, डा मुकेश कुमार उपस्थित थे।

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