पुरातात्विक अवशेष मिलने से पहले ही पर्यटक स्थल बना सीतागढ़ा
पालकालीन बौद्ध से जुड़े अवशेषों को अपने गर्भ में छिपाए सीतागढ़ा पहा
संवाद सहयोगी, हजारीबाग : पालकालीन बौद्ध से जुड़े अवशेषों को अपने गर्भ में छिपाए सीतागढ़ा पहाड़ी की तलहटी में बसे बहोरनपुर गांव पुरातात्विक अवशेष मिलने से पहले ही प्रसिद्ध होने लगा है। खोदाई की सूचना और तरीके को देखने, समझने विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ यहां कालेज व यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी भी अच्छी खासी संख्या में आने लगे हैं। शुक्रवार को मार्खम कालेज के इतिहास विभाग के विद्यार्थियों ने खोदाई स्थल बहोरनपुर के इटवा टीला का भ्रमण कर पुरातात्विक खोदाई की तकनीक को देखा। 27 नवंबर को शिलान्यास और पूजन के बाद 29 नवंबर को खोदाई स्थल पर मिट्टी हटाने का कार्य प्रारंभ हुआ। परियोजना निदेशक डॉ. राजेंद्र देवरी के नेतृत्व में खोदाई का कार्य किया जा रहा है। शुक्रवार को दस गुणा दस मीटर की परिधि में खोदाई शुरु हुई। मिट्टी की परत को बहुत ही बारिकी से हटाया जा रहा है। खोदाई का तरीका कुछ इस प्रकार है कि यहां प्राप्त होने वाले एक भी ऐतिहासिक धरोहर नष्ट नहीं हो। कुदाल, गैता और खुरपी के सहयोग से इटवा टीला की खोदाई की जा रही है।
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प्राचार्य के नेतृत्व में पहुंचा मार्खम कालेज का दल
खोदाई स्थल पर मार्खम कालेज के प्राचार्य के नेतृत्व में इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष सहित विद्यार्थियों का दल बहोरनपुर पहुंचा। इस दौरान छात्र करीब वहां दो घंटे से अभी अधिक समय तक रहे। परियोजना निदेशक से बातचीत कर क्षेत्र की विशेषता, सांस्कृतिक विरासत, अवशेष सहित अन्य विषयों पर चर्चा की।