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Hazaribagh News: संभल कर खरीदें मिठाई!, कहीं यह मीठा जहर तो नहीं, बेची जा रहीं पुरानी मिठाइयां

दूर्गा पूजा हो या मांगलिक कार्य मिठाई की दुकानों में मिठाई के शौकीन मिठाई खाए बगैर रह नहीं सकते। वहीं दुर्गा पूजा को लेकर लोगों के बीच मिठाई की भारी मांग देखी जा रही है। मिठाई की भारी मांग को लेकर मिठाई के कारीगर बाहर से मंगाए जाते हैं।

By arvind ranaEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 08:05 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 02:48 AM (IST)
संभल कर खरीदें मिठाई, कहीं यह मीठा जहर तो नहीं

हजारीबाग, जागरण संवाददाता। दूर्गा पूजा हो या मांगलिक कार्य मिठाई की दुकानों में मिठाई के शौकीन मिठाई खाए बगैर रह नहीं सकते। वहीं दुर्गा पूजा को लेकर लोगों के बीच मिठाई की भारी मांग देखी जा रही है। मिठाई की भारी मांग को लेकर मिठाई के कारीगर बाहर से मंगाए जाते हैं। वहीं मांगलिक कार्यों में मिठाई की अत्यधिक खपत के कारण शहर की मिठाई दुकानों पर बाहर से मंगाए गए तैयार मिठाई की बिक्री धड़ल्ले से होती है। 

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लोग बडे़ चाव से मिठाई खाते हैं। इन मिठाइयों में मिलावटी की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। जाहिर है कि बाहर से मंगाए गए कम दामों के मिठाई यहां के दुकानों में ऊंचे दरों पर बिक्री किए जाते हैं। यहां के अनेक ऐसे प्रतिष्ठानों पर मूल्य तालिका नहीं होने के कारण यहां उपभोक्ताओं को आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।

बासी मिठाइयों को बेचा जा रहा ऊंचे दामों पर

शहर की अधिकांश मिठाई दुकानों में घटिया, बासी मिठाइयों को ऊंचे दरों पर बिक्री की मनमानी का सिलसिला जारी है। दुकानदार अन्य किस्म की मिठाइयों को निजी कारखाना में निर्मित बताकर खरीदारों को चूना लगाया जाता है। बाहर से मंगाए गए 165 से 380 रुपये प्रति किलो की दर पर ये मिठाइयां यहां 400 से 500 रुपये प्रति किलो के दर पर बिक्री की जाती हैं।

शहर के अलग अलग मिठाई दुकानों के एक ही तरह के मिठाई को अलग अलग नाम देकर अलग अलग दामों पर बिक्री की जाती हैं।

लोकल डेयरी और खटाल से मंगाते हैं दूध और खोआ 

सरदार चौक स्थित सदानंद मिष्ठान भंडार के संचालक ने बताया कि हमलोग लोकल डेयरी और खटाल से दूध मंगाकर अपने कारीगर से मिठाई तैयार करवाते हैं। इसमें मिलावट नहीं होती। मिलावट की बात की जाए तो बाहर से मंगाए गए मिठाईयों पर लोगों को भरोसा नहीं करना चाहिए। कारण कि लोग सस्ते दर पर मिठाई लाते हैं और उंचे दर पर मिठाई बेचते हैं। इस लिए लोग क्या खा रहे हैं उन्हें खुद पता नहीं है।


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