Move to Jagran APP

विशाल वृक्ष के नीचे है पांच फुट का मेगालीथ

बाटम आकर्षित करता है हथिदर का बड़ा पेड़ सेटेलाइट सर्वे और खनन की है आवश्यकता संव

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 08:48 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 08:48 PM (IST)
विशाल वृक्ष के नीचे है पांच फुट का मेगालीथ
विशाल वृक्ष के नीचे है पांच फुट का मेगालीथ

बाटम

loksabha election banner

आकर्षित करता है हथिदर का बड़ा पेड़, सेटेलाइट सर्वे और खनन की है आवश्यकता

संवाद सूत्र

चौपारण : दैहर और सोहरा के पास स्थित हथिदर गांव भी विशिष्ट है। दरअसल दैहर के आसपास के कई किलोमीटर के इलाके पौराणिक अवशेषों से भरा पड़ा है। परंतु इन सब के बीच परंतु हथिदर गांव के बाहरी कोने में मैदानी इलाके में स्थित एक बड़ा व अति प्राचीन पेड लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है। वृक्ष का इतिहास काफी प्राचीन प्रतीत होता है। पेड़ के आसपास का भूमि में सतह पर काफी पत्थर नजर आते हैं। पत्थरों का उपरी अग्रभाग ही दिखता है। पेड के नीचे 5 फीट का एक अति प्राचीन शिला अवस्थित है। यह शिला निश्चित रूप से मेगालिथ है। शिला के ऊपर सूरज, चांद के साथ कई नक्काशी की गई है। किसी विशिष्ट भाषा में कुछ लिखा हुआ भी है। पेड़ के नीचे ही कई पत्थर के अवशेष रखे गए हैं। इन अवशेषों को किसी महल, मंदिर अथवा भवन का हिस्सा नजर आता है। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि किसी विशेष अवस्था में ही लोग वहां जाते हैं। वहां लोग पूजा पाठ भी करते हैं । लोग बताते हैं कि सालों पूर्व इस पेड़ के पास से कई पत्थर के अन्य अवशेष पाए जाते थे । वहां सिक्कों के बरामदगी की भी चर्चा है। लेकिन अनिष्ट के भय से लोग वहां नहीं जाते हैं।

आमतौर पर इन इलाकों में मेगालिथ नहीं पाया जाता है परंतु हथिदर में पाए गए मेगालिथ पर चित्रित व नक्काशी बिल्कुल लंदन के म्यूजियम में रखें एक मेगालिथ से मिलती जुलती है। इससे लोगों में कौतूहलता और अधिक आ गई है । जब तक इतिहास के पन्नों को फिर से नहीं खोला जाएगा तब तक कई राज मिट्टी में ही दबे रह जाएंगे।

सरकारी सहायता से मिट्टी में दफन इतिहास आएंगे सामने:

इन इलाकों का सेटेलाइट सर्वे करवाने की आवश्यकता है। इसे साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग के द्वारा सर्वे के माध्यम से पूरी जानकारी मिल सकती है। इसमें भूमि के अंदर 30 मीटर तक की पूरी जानकारी सर्वे से सामने आ सकता है। साथ ही क्षेत्र में फैले सभी चीजों की रेडियो कार्बन डेटिग कराने की भी आवश्यकता है। मृदभांड से पाषाण युग की पुष्टि तो होती है पर जांच व अन्वेषण के दायरे को बढ़ाने की जरूरत है। मूर्तियों के म्यूजियम में रखने खुले जमीन से हटाकर म्यूजियम में रखने की आवश्यकता है। सरकार के प्रयास से जीटी रोड की सुगमता से यह बौद्ध धर्म का अंतर राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन सकता है। बोधगया को चौपारण,ईटखोरी और सीतागढ़ा से जोड़कर बनाया जा सकता है बौद्ध सर्किट: जीटी रोड की सुगमता अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया से महज 60 किलोमीटर की दूरी की वजह से चौपारण के मानगढ़, दैहर, सोहरा, हथिदर को इटखोरी के भद्रकाली मंदिर से जोड़कर भाया पदमा होते हुए हजारीबाग के सीतागढ़ा से जोड़कर यदि बौद्ध सर्किट का विकास किया जाए तो निश्चित रूप से आने वाले समय में यह सभी इलाका अंतरराष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन स्थल का एक बड़ा केंद्र बन सकता है । सांसद से की गई पहल की मांग

पुरातात्विक महत्व के स्थलों के सर्वे करने तथा उत्खनन की में पहल करने को लेकर स्थानीय सांसद जयंत सिन्हा से लिखित मांग की गई है। उनके दौरे में बीते दिन आवेदन देकर इस पर सहयोग की मांग की गई है। 0उनसे आग्रह किया गया है कि भारतीय पुरातत्व विभाग से संपर्क कर क्षेत्रों का उत्खनन कराया जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.