मगही भाषा का अपमान कर रही हेमंत सरकार
बाटम सीएम के बयान के विरोध में पुराना समाहरणालय के समक्ष दिया मगही समाज ने दिया धरना जासं
बाटम
सीएम के बयान के विरोध में पुराना समाहरणालय के समक्ष दिया मगही समाज ने दिया धरना
जासं, हजारीबाग : पुराना समाहरणालय के समक्ष धरना स्थल पर मगही समाज के लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री द्वार मगही को बाहरी भाषा कहे जाने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की गई। वक्ताओं ने कहा कि मगही झारखंड के आठ जिले हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह, देवघर, कोडरमा, चतरा, गढ़वा, और पलामू आदि में जनभाषा के रूप में बोली जाती है। इतने बड़े भूभाग के जनभाषा में मगही भाषी लोगों का अपमान तो है ही साथ मे इनकी आस्मिता के साथ खिलवाड़ भी है। धरना कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में प्रौटिस्ट सर्वसमाज के कार्यवाहक अध्यक्ष सुशील रंजन, मगही समाज के केंद्रीय महासचिव रवि प्रसाद, केंद्रीय पंचशाखा सचिव देवकी प्रसाद, केंद्रीय संयुक्त सचिव प्रमोद कुमार मेहता, केंद्रीय वित्त सचिव दिलीप ठाकुर, जिला सचिव धनंजय कुमार, वित्त सचिव बालेश्वर प्रसाद मेहता, संगठन सचिव मनोज कुमार मेहता, पंचशाखा बिरेन्द्र रजक आदि शामिल थे। वक्ताओं ने
मगही भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए झारखंड सरकार केन्द्र की सरकार को अनुशंसा करने की मांग की। यह भी कहा कि झारखंड सरकार अगर अविलम्ब इन सब बातों पर गौर नही करेगी तो प्रगतिशील मगही समाज जन आंदोलन करने को बाध्य होगी। इस धरना को सफल बनाने में सहयोग करने वालों में सुरेश कुमार साव, सुरेश प्रसाद, राजू रजक, रवि सोनू, मनोज कुमार, ओमप्रकाश मेहता, अयोध्या प्रसाद मेहता, मुरली ठाकुर, नेमीचन्द प्रसाद मेहता, अशोक कुमार, बैजनाथ बर्मा, राजेन्द्र राणा, जगदेव प्रसाद गुप्ता, रितेश अग्रवाल, सतीश प्रसाद, दिलीप कुमार, अनिल कुमार, सहादत अंसारी, शभु राम, पवन कुमार, भुनेश्वर प्रसाद, लखन प्रसाद कुशवाहा आदि शामिल हैं।