पानी के लिए तिलरा-भुसवा बिरहोर टोला में हाहाकार
बाटम गर्मी के दिनों में हर वर्ष खड़ी होती है समस्या पर किसी ने नहीं दिया ध्यान अरुण खुशबू
बाटम
गर्मी के दिनों में हर वर्ष खड़ी होती है समस्या पर किसी ने नहीं दिया ध्यान
अरुण खुशबू,
इचाक : गर्मी की तपिश शुरु होते ही प्रखंड में लोगों के हलक सुखने लगा है। मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर है तिलरा भूसवा गांव में विलुप्त प्राय होते आदिम जनजाति बिरहोर जाति के परिवारों के बीच पानी के लिए हाहाकार मच गया है। 80 घरों वाले इस गांव में बिरहोर जाति की आबादी पांच सौ से अधिक की संख्या है। कहने के तो गांव में तीन चापानल और एक सार्वजनिक कुआं है परंतु ये सब हाथी के दांत है। कुंआ होली से पहले सूख चुका है। एक नल के भरोसे पांच सौ की आबादी रह रही है । हालत कुछ इस तरह है नल में पानी के लिए अहले सुबह चार बजे लाईन लगना होता है। -------------------------------------------- एक साल पूर्व लगा था जल मीनार
बिरहोर टांडा में बसने वाले मूलचंद बिरहोर ,लालधारी बिरहोर, चारवा बिरहोर , फुलमनी बिरहोरीन, तारो देवी, लाली देवी, कंचन बिरहोरिन ने बताया कि ग्रामीण लघु पेयजल योजना के तहत एक साल पूर्व बिरहोर टांडा में जल मीनार लगाया गया। जिसके चालू होने से पहले यहां का सोलर प्लेट आंधी का भेंट चढ़ गया। लोगों ने बताया कि अभी दूसरा जल मीनार लगाने का काम जारी है। लेकिन उम्मीद जताया जा रहा है कि दूसरे मीनार से भी लोगों को पानी पीना नसीब में नहीं हो पाएंगा ।
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नावाडीह पंचायत में आता है गांव यह टोला नावाडीह पंचायत के अंतर्गत आता है। यहां कई बार ब्लॉक से बाबू लोग आए उन्हें समस्या से अवगत कराया गया। कितु कोई सुधार नहीं हुआ। लोगों ने बताया कि एक तरफ लॉकडाउन दूसरी तरफ रोजगार चौपट और तीसरी तरफ पानी की किल्लत ने लोगों को परेशान कर रखा है। हम आदिम जनजातियों का परेशानी कोई समझने वाला नहीं है। इस टोले के कई लोग सर्दी खांसी जुकाम से ग्रसित हैं। जिन्हें ना समय पर दवा उपलब्ध होता है ना ही कोई इनका हाल चाल पूछने पहुंचता है। लोगों ने बताया कि यही हाल रही तो विलुप्त प्राय जनजाति बिरहोर का अस्तित्व ही मिट जाएगा।